सामाजिक सरोकार : सदैव प्रेरणा देते हैं अपने रिश्ते, अपना शहर और अपने मित्र

कुछ यादें -कुछ बातें ‘ कार्यक्रम में पूर्व एडीजीपी श्री वाते ने कहा

हरमुद्दा
रतलाम, 16 जुलाई। व्यक्ति को जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं से जितनी ताक़त नहीं मिलती उतनी ताक़त उसे उसके बीता जीवन देता है। बीते जीवन में मिले मित्रों का स्नेह, अपने शहर के गली-चौराहे और अपने रिश्तों की महक सदैव प्रेरणा देती है । मुश्किल परिस्थितियों में आगे बढ़ने का साहस भी सच्चे मित्र ही देते हैं। मांगीलाल यादव भी ऐसे ही मित्र रहे जिन्होंने बहुत ख़ामोशी के साथ अपना जीवन जिया। उन्होंने अपने महत्व को कभी रेखांकित नहीं किया , फिर भी सब के दिल में अपनी जगह बनाई।

यादव जी की प्रेरक बातें श्रवण करते हुए

यह विचार संवेदनशील व्यक्तित्व के धनी मांगीलाल यादव के स्मरण दिवस पर आयोजित कार्यक्रम ‘कुछ यादें -कुछ बातें’ में मध्य प्रदेश पुलिस के पूर्व एडीजीपी, लोकप्रिय शायर एवं सहपाठी विजय वाते ने कही। यादव परिवार द्वारा आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने रतलाम के अपने स्कूली जीवन, महाविद्यालय में बिताए दिनों तथा उन घटनाओं का ज़िक्र किया जिनके माध्यम से उन्हें जीने की ताक़त मिली।

यादव जी से मिलती थी प्रेरणा और मार्गदर्शन

उन्होंने कहा कि यादव जी जैसे मित्र प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में होना चाहिए। ऐसे मित्र ही कुछ करने की प्रेरणा और सही मार्गदर्शन भी देते हैं। उन्होंने अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं, अपने लेखन के विषयों एवं नौकरी के दौरान पेश आई परिस्थितियों का संदर्भ देते हुए बताया कि एक मित्र द्वारा दी गई सलाह कितनी उपयोगी होती है।

कार्यक्रम में मौजूद सुधीजन

मित्र वही होता है जो मुसीबत में ना डालें

संवाद शैली में आयोजित इस कार्यक्रम में विष्णु बैरागी एवं आशीष दशोत्तर के सवालों का जवाब देते हुए श्री वाते ने कहा कि सही अर्थों में मित्र वही होता है जो कभी आपको मुसीबत में न डाले, बल्कि मुसीबत से निकाले। यादव जी ने भी सदैव अपने साथियों को मुश्किलों से निकाला । पढ़ने की आदत डाली । भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों के साहित्य से परिचित करवाया और सामाजिक दायरों को मज़बूत करने के लिए प्रेरित किया।

संकोची स्वभाव के थे यादव जी

उन्होंने पुलिस की नौकरी के दौरान पेश आई परिस्थितियों में यादव जी द्वारा कही गई बातों का उल्लेख करते हुए कहा कि वे संकोची स्वभाव के थे। कभी- कभी ऐसी बात कह दिया करते थे जो मन में बस जाती थी। उनकी वही बातें आज भी हमारे साथ मौजूद हैं।

अगर ऐसा नहीं होता…

उपस्थितजनों के आग्रह पर श्री वाते ने अपनी कुछ ग़ज़लें भी सुनाई। उन्होंने कहा ‘ अगर ऐसा नहीं होता , अगर वैसा हुआ होता, तो मालिक ये बता, तेरा यहां क्या क़द रहा होता। ‘

माल्यार्पण और श्रद्धांजलि से हुई शुरुआत

कार्यक्रम की शुरुआत में श्री यादव के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान जसवंत यादव एवं अशोक यादव ने श्री वाते का स्वागत किया। श्री यादव के सहपाठी अनीस खान ने 53 वर्ष पुराना महाविद्यालय का चित्र यादव परिवार को भेंट किया। कार्यक्रम में श्री यादव की धर्मपत्नी, परिजनों सहित सामाजिक, साहित्यिक , राजनीतिक एवं पारिवारिक मित्र मौजूद थे।

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