फैसला : शासकीय भूमि पर ईंट के भट्टे का दावा खारिज

⚫ 40 वर्ष के आधिपत्य को न्यायालय ने नहीं माना

हरमुद्दा
रतलाम, 8 अगस्त। ग्राम बाजना में शासकीय भूमि पर अवैध ईंट भट्टे के मामले में सैलाना न्यायालय वित्तीय व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खंड नेहा सावनेर ने दावा निरस्त कर दिया । वर्तमान में ईट का भट्ठा हटाकर अवैध तरीके से दुकान निर्मित कर दी गई थी ।

अतिरिक्त शासकीय अभिभाषक सतीश त्रिपाठी ने बताया कि बाजना में सर्वे नंबर 51 स्थित है। जो लगभग 5 हजार स्क्वायर
फिट का है। उक्त शासकीय जमीन पर दशरथ प्रजापत ने विगत 40 वर्षों से अवैधानिक कब्जा कर रखा था । उक्त भूमि पर अवैध कब्जा हटाने के लिए तहसीलदार द्वारा 30 मार्च 2015 को नोटिस दिया गया था । इसके खिलाफ दशरथ प्रजापत द्वारा न्यायालय में स्वत्व घोषणा का दावा प्रस्तुत किया और मालिकाना हक देने की मांग की। जिसे न्यायालय ने निरस्त कर दिया।  प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी अतिरिक्त शासकीय अभिभाषक सतीश त्रिपाठी ने की।

आधिपत्य भी प्रमाणित नहीं

विचारण के दौरान न्यायालय ने वादी दशरथ प्रजापत का विगत 40 वर्षों से कब्जे को भी प्रमाणित नहीं माना। उसे कब्जा किस आधार पर दिया गया यह भी प्रमाणित नहीं हुआ । प्रकरण में विचारण के दौरान ही दशरथ प्रजापत की मृत्यु हो गई थी। वारिस के रूप में उसकी पत्नी लक्ष्मी बाई, पुत्र संतोष और सीताराम व पुत्री गायत्री ने मुकदमा लड़ा ।

विरोधी आधिपत्य भी प्रमाणित नहीं

न्यायालय ने माना कि सर्वे नंबर 51 की भूमि शासकीय है। वर्ष 2015 के पूर्व से ही दशरथ प्रजापत को शासकीय भूमि रिक्त करने का नोटिस दिए गए थे। इससे प्रमाणित है कि उसका कब्जा निरंतर नहीं रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *