कोर्ट का फैसला : दादी मां को अपशब्द कहने पर कर दी थी हत्या, 5 को आजीवन कारावास की सजा

पिता और चार पुत्र ने की थी हत्या

82 कार्य दिवस चली कार्रवाई

मामला अक्टूबर 2019 का

हरमुद्दा
रतलाम 12 अगस्त। दादी मां को अपशब्द कहने के मामले में हत्या के आरोपी पिता और चार पुत्र को न्यायालय द्वितीय  सत्र न्यायाधीश अरुण कुमार खरादी ने शनिवार को आजीवन सश्रम कारावास की सजा सुनाई तथा 5 हजार का अर्थदंड भी लगाया । मामले की पूरी सुनवाई 82 न्यायालय कार्य दिवस में हुई।

अपर लोक अभियोजक सतीश त्रिपाठी

अपर लोक अभियोजक सतीश त्रिपाठी ने हरमुद्दा बताया कि घटना रावटी थाना अंतर्गत ग्राम चेनपुरा की है। 28 अक्टूबर 2019 को दोपहर 2 बजे मृतक काना भूरिया पिता बाबूलाल भूरिया उम्र 40 वर्ष अपने घर के बाहर अपने भाई प्रभु,,सीताराम, सत्यनारायण व मांगू के साथ बातचीत कर रहा था ।तभी वहां से दादी मां नानी बाई निकल रही थी । तो प्रभु बोला कि मासाब (डोकरी) कहां जा रही हो । इस बात पर दादी मां नानी बाई की प्रभु से बोलचाल हो गई । आवाज सुनकर आरोपी भेरु पिता दल्ला 55 वर्ष व उसके पुत्र संतोष 32 वर्ष दिनेश 26 वर्ष नारायण 23 वर्ष तथा कृष्णा उर्फ किशन 18 वर्ष निवासी चैनपुरा हाथ में लकड़ी लेकर पहुंचे और कान्हा प्रभु सीताराम सत्यनारायण व मांगू के साथ मारपीट करने लगे। काना का सिर फटने से घटनास्थल पर ही मौत हो गई। इसके बाद बचाव करने गांव के लोग आ गए थे । काना को रावटी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

पुलिस थाना रावटी ने की विवेचना

फरियादी मोहन पिता मांगू द्वारा पुलिस थाना रावटी में आरोपी गण  के विरुद्ध मामला दर्ज करवाया गया। पुलिस ने मृतक की पत्नी पुना बाई , पुत्र समरथ सहित अन्य  के कथन लिए। मामले में फरियादी मोहन सहित सीताराम व मांगू पक्ष द्रोही घोषित किए गए । लेकिन मृतक की पत्नी पुत्र व अन्य स्वतंत्र साक्ष की गवाही तथा चिकित्सक व अनुसंधान अधिकारी  की गवाही के आधार पर आरोपीगण को दोष सिद्ध पाया गया ।

82 कार्य दिवस में हुआ निर्णय

प्रकरण 12 फरवरी 2020 को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। इस दौरान कोरोना काल की अवधि को छोड़कर कुल 82 न्यायालय कार्य दिवस में सुनवाई करते हुए न्यायालय ने आरोपी गणों को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 व 149 में दोष सिद्ध मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई । प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी अपर लोक अभियोजक सतीश त्रिपाठी द्वारा की गई ।

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