मंत्रिमंडल का विस्तार : मंत्रिमंडल परिवार में तीन और विधायकों का इजाफा, हुई पदोन्नति, दिलाई मंत्री पद की शपथ, दो को कैबिनेट और एक को राज्य मंत्री का मिल सकता है दायित्व
⚫ विधानसभा चुनाव के चलते क्षेत्रीय समीकरण और मतदाताओं को साधने की एक और कोशिश
⚫ मंत्रियों के 35 पद में से 4 पद हैं खाली
⚫ आचार संहिता लगने के पहले चुनावी एक और दाव
हरमुद्दा
भोपाल, 26 अगस्त। चुनाव के मध्य नजर शनिवार को सुबह शिवराज मंत्रिमंडल के कुनबे में तीन विधायक और शामिल हो गए और उन्हें मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। राजनीतिक पंडितों का यही मानना है कि चुनाव में मतदाताओं को साधने के लिए यह सभी खेल खेला जा रहा है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शुक्रवार देर रात राज्यपाल मंगूभाई पटेल से मुलाकात की। शिवराज मंत्रिमंडल में 35 में से चार पद खाली हैं। अभी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा 30 मंत्री हैं। अब चुनाव आचार संहिता लगने के करीब डेढ़ महीने पहले तीन नए चेहरों राजेंद्र शुक्ल, गौरी शंकर बिसेन और राहुल लोधी को शपथ दिलाई।
एक नाम पर नहीं बनी सहमति
इससे सरकार जातिगत, क्षेत्रीय समीकरण साधने के साथ ही नाराजगी दूर करना चाहती है। कहा जा रहा है कि लोधी को राज्यमंत्री बनाया जाएगा, बाकी दोनों को कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाई जाएगी। चौथे स्थान को लेकर पार्टी नेताओं का सोच किसी आदिवासी या अनुसूचित जाति के विधायक को शपथ दिलाने का था, लेकिन किसी एक नाम पर सहमति नहीं बनी।
विंध्य से हैं राजेंद्र शुक्ल
पूर्व मंत्री और रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ल फिर मंत्री बन गए हैं। रीवा में जन्मे शुक्ल ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। वे 2003 में विधानसभा चुनाव जीत कर राजनीति में सक्रिय हुए। इसके बाद 2008 और 2013 में विधानसभा चुनाव जीता। 2013 में शुक्ल मंत्री बने। 2018 में भी चुनाव जीते। शुक्ला विंध्य में पार्टी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं। पार्टी को आगामी विधानसभा चुनाव में विंध्य में कांग्रेस से कांटे की टक्कर मिलती दिख रही है। आम आदमी पार्टी भी कड़ी टक्कर दे रही है। सिंगरौली महापौर सीट पार्टी के हाथ से निकल गई। इसे क्षेत्र में पार्टी के प्रति नाराजगी के रूप में देखा जा रहा है। सर्वे रिपोर्ट में भी पार्टी की स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में अब शुक्ल को मंत्री बनाकर पार्टी क्षेत्र की जनता को साधने की कोशिश में है।
महाकौशल में बिसेन के जरिए ओबीसी कार्ड
पूर्व मंत्री और विधायक गौरीशंकर बिसेन अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं। अभी वे मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष भी हैं। 1952 में गौरीशंकर बिसेन का जन्म बालाघाट में हुआ। गौरीशंकर बिसेन ने सात बार विधायक और लोकसभा का चुनाव जीता है। बिसेन ने 1985 में विधानसभा का चुनाव जीत कर राजनीतिक सफर की शुरुआत की। इसके बाद 1990 और 1993 में बालाघाट से लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीता। 1998 में उनकी पत्नी बालाघाट से विधानसभा चुनाव लड़ी, लेकिन हार गई। बिसेन ने लोकसभा चुनाव लड़ा और जीते। इसके बाद वे 2003 से बालाघाट सीट से लगातार विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे हैं। महाकौशल में बड़ी संख्या में ओबीसी वोटर हैं। बिसेन को मंत्री बनाकर ओबीसी वर्ग को साधने की रणनीति बनाई जा रही है।
लोधी के जरिए बुंदेलखंड जीतने की रणनीति
राहुल सिंह लोधी एक बार के विधायक हैं। वह 2018 में खरगापुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते। राहुल पूर्व सीएम उमा भारती के भतीजे हैं। बुंदेलखंड और ग्वालियर चंबल में बड़ी संख्या में लोधी वोटर हैं। राहुल लोधी को मंत्री बनाकर भाजपा बुंदेलखंड के साथ ही ओबीसी वोटर को साध रही है।