सामाजिक सरोकार : संस्थाओं से जुड़कर सामाजिक कार्य करते रहने से दूर होता एकाकीपन
⚫ साहित्यकार एवं भाषाविद डॉ. जय कुमार जलज ने कहा
⚫ साहित्यकार एवं भाषाविद डॉ. जलज का “रतलाम कला मंच” ने किया सम्मान
हरमुद्दा
रतलाम,6 सितंबर। वर्तमान परिस्थितियों में जब समाज बहुत एकाकी होता जा रहा है तो संस्थाओं से जुड़कर सामाजिक कार्य करते रहने से एकाकीपन को दूर किया जा सकता है और कई समस्याओं से बचा जा सकता है।
यह विचार साहित्यकार एवं भाषाविद डॉ. जय कुमार जलज ने व्यक्त किए। शिक्षक दिवस के अवसर पर नगर की संस्था “रतलाम कला मंच” द्वारा राष्ट्रीय स्तर के सुप्रसिद्ध भाषाविद, कवि, लेखक,चिंतक एवं शासकीय महाविद्यालय रतलाम के सफलतम प्राचार्य डॉ. जयकुमार जलज एवं श्रीमती प्रीति जलज का सम्मान किया गया। सम्मान के बाद डॉक्टर जलज बोल रहे थे।
“महावीर का बुनियादी चिंतन” गागर में सागर के समान
मीडिया प्रभारी शरद चतुर्वेदी ने बताया कि सम्मान समारोह में संस्था अध्यक्ष राजेन्द्र चतुर्वेदी ने डॉ. जलज की कालजयी पुस्तकों और रचनाओं की जानकारी देते हुए बताया कि आपकी जैन धर्म के लिए लिखी गई पुस्तक महावीर स्वामी का बुनियादी चिंतन गागर में सागर के समान है जो अब तक 28 भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है और जिसके 58 संस्करण निकल चुके हैं पुस्तक को राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिल चुकी है।
इन्होंने किया सम्मान
डॉ. जलज एवं श्रीमती जलज को मोती माला, शाल, श्रीफल और स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया। संस्था अध्यक्ष चतुर्वेदी, अजय चौहान, जनमेजय उपाध्याय, शरद चतुर्वेदी, रुपाली तबकडे, नीलिमा छबिसिंह, सिमरनजीत, शीतल पांचाल, महेश ओझा, नरेंद्र त्रिवेदी, पवन कुमार आदि ने डॉ जलज का पुष्पहारों से स्वागत किया। श्री चतुर्वेदी ने कहा कि संस्था सर को सम्मानित करते हुए गौरवान्वित महसूस कर रही है वास्तव में सर जैसी विभूति को सम्मानित कर हम सब स्वयं को सम्मानित महसूस कर रहे है। संचालन राजेन्द्र चतुर्वेदी ने किया। जनमेजय उपाध्याय ने आभार माना।