धर्म संस्कृति : गोकुल, मथुरा, वृंदावन सहित अन्य जगह श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी 7 सितंबर को

धर्म ग्रंथ “निर्णय सिंधु” और “ब्रह्मवैवर्त पुराण” भी 7 सितंबर को ही जन्माष्टमी मनाने का दे रहे शास्त्र सम्मत मत

जन्मोत्सव मनाने वाले श्रद्धालुओं के तीन जन्म के पाप समूल नष्ट

श्रीकृष्ण की 5251 वीं जन्माष्टमी

हरमुद्दा
बुधवार, 6 सितंबर। गोकुल, मथुरा, वृंदावन सहित देश के अनेक हिस्सों में श्रीकृष्ण की 5251 वीं जन्माष्टमी 7 सितंबर को मनाई जाएगी। जन्माष्टमी पर व्रत रखने से भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही भक्तों के जीवन से सभी कष्ट दूर होते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से निसंतान महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है।

ज्योतिर्विद आचार्य दुर्गाशंकर ओझा

ज्योतिर्विद आचार्य दुर्गाशंकर ओझा ने हरमुद्दा से चर्चा में बताया कि भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत एवं जन्मोत्सव मनाने वाले श्रद्धालुओं के तीन जन्म के पाप समूल नष्ट हो जाते हैं और ऐसा योग शत्रुओं का दमन करने वाला है।

क्या कहता है निर्णय सिंधु ब्रह्मवैवर्त पुराण ग्रंथ

ज्योतिर्विद पंडित ओझा ने धर्म ग्रंथ के आधार पर बताया कि स्कंद पुराण के अनुसार यदि उदय काल में किंचित मात्र भी यदि अष्टमी हो और नवमी तिथि संपूर्ण दिन हो तो जन्माष्टमी पर उसी दिन मनाना चाहिए।

ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार सप्तमी युक्त अष्टमी का त्याग यत्नपूर्वक करें। भले ही उस रात्रि रोहिणी नक्षत्र ही क्यों ना हो? नवमी युक्त अष्टमी को ही भगवान का जन्मोत्सव मानना चाहिए।

“पूर्व विद्धाष्टमी या तू उदये नवमीदिने।
मुहूर्तमपि संयुक्ता संपूर्ण साष्टमी भवेत।।”

जन्माष्टमी पर्व का पारायण अष्टमी तिथि में करते हैं तो 8 गुना एवं नक्षत्र में करते हैं तो चार गुना पुण्य क्षीण होता है। 6 सितंबर बुधवार के दिन रात 8:00 के बाद अष्टमी तिथि आई है और अगले दिन गुरुवार रात 7:30 बजे तक है। रोहिणी नक्षत्र भी अगले दिन दोपहर 3:00 बजे तक है। इसलिए पारायण भी 6 सितंबर की रात में नहीं कर सकते। उपरोक्त प्रमाणों के अनुसार जन्माष्टमी पर्व सभी सनातनी को 7 सितंबर गुरुवार को दिन मनाना शास्त्र सम्मत है।

सभी कष्टों से मिलती है मुक्ति

ज्योतिर्विद पंडित ओझा ने बताया कि भगवान कृष्ण का पूजन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। व्यक्ति को भगवत कृपा की प्राप्ति होती है. जो लोग कई जन्मों से प्रेत योनि में भटक रहे हों, इस तिथि में उनके लिए पूजन करने से उन्हे मुक्ति मिल जाती है। इस संयोग में भगवान कृष्ण के पूजन से सिद्धि की प्राप्ति होगी तथा सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी।

वैष्णव समाज करेगा व्रत और पूजन

मथुरा-वृंदावन और इस्कॉन मंदिरों  में 7 सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। वैष्णव समुदाय के सभी जन 7 सितंबर को ही श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे। व्रत और पूजन करेंगे।

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