कोर्ट का आदेश : अनुकंपा नियुक्ति के मामले में मनमानी, जो भी दोषी अधिकारी है, उनके विरुद्ध विभागीय जांच कर करें कार्रवाई
⚫ उच्च न्यायालय इंदौर के सख्त आदेश
⚫ 3 माह में याचिकाकर्ता को अनुकंपा नियुक्ति देने के आदेश
⚫ सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग कार्यालय को अनुकंपा नियुक्ति के मामले में मनमानी पड़ी भारी
⚫ 1998 से नियुक्ति थी याचिकाकर्ताओं की माताजी
हरमुद्दा
रतलाम,12 सितंबर। सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग कार्यालय को अनुकंपा नियुक्ति के मामले में मनमानी भारी पड़ी। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय इंदौर के न्यायमूर्ति विवेक रूसिया ने सख्त आदेश पारित करते हुए शासन के विरुद्ध रूपये 20,000/- का जुर्माना लगाकर याचिका को स्वीकार कर तीन माह में याचिकाकर्ता दीप्ति सोलंकी को अनुकंपा नियुक्ति देने के आदेश दिए है।
उन्होंने दोनों की माता सरोज सोलंकी के मरणोपरांत सेवा संबंधी लाभों का भुगतान एक माह में कर उच्च न्यायालय को पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के आदेश भी दिए हैं। प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शासन को इस पूरे मामले में जो भी दोषी अधिकारी है, उनके विरुद्ध विभागीय जांच प्रारंभ कर अनुशात्मक कार्यवाही करने के आदेश भी दिए गए है।
व्यथित होकर पुन: दायर की याचिका
अभिभाषक प्रवीण भट्ट ने बताया कि दीप्ति सोलंकी और यशवनी सोलंकी की माता के मृत्यु के बाद उच्च न्यायालय ने याचिका क्रमांक 5316/2016 में दिनांक 21-02-2018 को मध्यप्रदेश शासन के परिपत्र दिनांक 29-09-2014 के तहत शैक्षणिक योग्यता अनुसार रिक्त पद पर अनुकंपा नियुक्ति हेतु विचार कर मरणोपरांत दिए जाने वाले सेवा संबंधी लाभ देने के आदेश दिये थे, परंतु तत्कालीन सहायक आयुक्त ने दिनांक 19 सितंबर 2019 को 50 प्रतिशत अंक के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन निरस्त कर मरणोपरांत सेवा संबंधी भुगतान नहीं किए। इससे व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में पुनः याचिका प्रस्तुत की थी।
1998 से नियुक्त थी उनकी माताजी
इसमें बताया गया था कि दीप्ति सोलंकी व यशवनी सोलंकी की माताजी सरोज सोलंकी शिक्षाकर्मी के पद पर वर्ष 1998 से नियुक्त थी। वर्ष 2001 में उनका अध्यापक संवर्ग में संविलियन कर उन्हें नियमित किया गया था| दिनांक 21-02-2013 को सरोज सोलंकी की उसके पति विक्रमसिंह सोलंकी द्वारा हत्या कर दी गई एवं बाद में विक्रम सिंह की मृत्यु जेल में रहते हुए हो गई।
सहायक आयुक्त ने कर दिया था आवेदन निरस्त
दीप्ति सोलंकी ने इसके बाद अनुकंपा नियुक्ति हेतु आवेदन प्रस्तुत किया, जिसे तत्कालीन सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग ने 12 कक्षा में 50 प्रतिशत से कम अंक होने के आधार पर दिनांक 05-08-2017 को निरस्त कर दिया। इससे व्यथित होकर दीप्ती सोलंकी व उसकी बहन ने उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की। उच्च न्यायालय ने दिनांक 21-02-2018 को इस याचिका को स्वीकार कर शासन को आदेश दिए थे कि दीप्ति सोलंकी को मध्यप्रदेश शासन के परिपत्र दिनांक 29-09-2014 के चरण संख्या 5.1 में दिये गये प्रावधान अनुसार शैक्षणिक योग्यता अनुसार अनुकंपा नियुक्ति दी जाए। सरोज सोलंकी के मृत्यु उपरांत उसके सभी लाभ दोनो पुत्रियों को भुगतान किए जाए।
नहीं किया जा रहा मृतक की पुत्रियों को सहयोग
तत्कालीन सहायक आयुक्त ने न्यायालय के आदेश के विपरीत पुनः आदेश क्रमांक 3042 दिनांक 29-03-2019 जारी कर 50 प्रतिशत से कम अंक होने के आधार पर दीप्ति सोलकी का अनुकंपा नियुक्ति आवेदन निरस्त कर दिया। उन्होंने मरणोपरांत लाभ के संबंध में दिनांक 19- 03-2019 को आदेश क्रमांक 3014 जारी कर कहा कि मृतक की पुत्रियों द्वारा सहयोग नहीं किया जा रहा है। इन आदेशों के विरुद्ध पुनः उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की गई। इस याचिका को स्वीकार कर न्यायालय ने सख्त आदेश दिए है। प्रकरण में याचिका कर्ता की पैरवी एडवोकेट प्रवीण कुमार भट्ट ने की।