वाह रे जिम्मेदार : मौसम विभाग की चेतावनी को नहीं माना, आंकड़े देखने के बाद कलेक्टर ने घोषित की छुट्टी, आदेश के पहले ही पहुंच गए बच्चे स्कूल, पालकों में आक्रोश
⚫ सुबह 7:00 से ही लेने आ जाती है छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल की बसें
⚫ संचालकों का भी कहना पहले ही लेना था निर्णय
⚫ कोई अनहोनी हो जाए तो जिम्मेदार कौन
हेमन्त भट्ट
रतलाम, 16 सितंबर। मुद्दे की बात यही है कि जब मौसम विभाग ने शुक्रवार को ही भारी बारिश की चेतावनी का अलर्ट जारी कर दिया था तो रतलाम कलेक्टर ने उसे अनदेखा क्यों किया? आखिर क्यों शनिवार सुबह बारिश के आंकड़े देखने के बाद जिले के स्कूलों में अवकाश की घोषणा की गई। इन प्रश्नों को लेकर पालकों एवं स्कूल संचालकों में आक्रोश है। जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते यदि कोई अनहोनी हो जाए तो उसका खामियाजा पालकों और बच्चों को ही भुगतना पड़ता। जिम्मेदार तो जांच समिति गठित करके इतिश्री कर लेते।
प्रदेश के मौसम विभाग ने शुक्रवार को ही चेतावनी दी थी कि शनिवार को भारी बारिश होगी। मगर रतलाम कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने मौसम विभाग की चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया। जबकि पड़ोसी जिले इंदौर कलेक्टर टी इलैया ने शाम को ही स्कूलों में अवकाश की घोषणा कर दी थी। इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया गया।
शुक्रवार शाम को ही हो गई थी झमाझम तेज बारिश
शुक्रवार शाम को ही 6:15 बजे शहर में भारी बारिश हुई। आधे घंटे की झमाझम बारिश से जनजीवन थोड़ा प्रभावित हुआ। इतनी बारिश हुई थी की सड़कों पर पानी नहीं समा रहा था। 30 से 45 मिनट तक लोगों को इंतजार करना पड़ा। बारिश जब कम हुई, तब लोग वाहनों से निकले। इसके पहले दोपहर 1:50 बजे से 20 मिनट तक तेज बारिश हुई थी।
भारी बारिश में भी छोटे-छोटे बच्चे पहुंच चुके थे स्कूल
शनिवार को सुबह निजी स्कूलों की बसें बच्चों को लेकर स्कूलों में पहुंच चुकी थी। नर्सरी से लेकर तो 12वीं तक के बच्चे स्कूलों की दहलीज पर चढ़ चुके। यह केवल रतलाम शहर ही नहीं अपितु आसपास के गांव के बच्चे भी स्कूलों में चले गए। कई गांव से बच्चे शहर के नामी स्कूल आ गए। यह भी इसलिए कि स्कूल संचालकों के सख्त आदेश रहते हैं कि बच्चों को घर पर ना रोका जाए, उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है। शहर से बच्चे 5 से 8 किलोमीटर दूर इंटरनेशनल स्कूल में भी पहुंच गए।
8:30 बजे बाद व्हाट्सएप पर मैसेज आना हुए शुरू
तापमान और बारिश की जानकारी देने वाले स्थानीय मौसम विभाग ने जब 8:00 बजे पूरे जिले के आंकड़े एकत्र किए और सारणी बनाई। तब जाकर कलेक्टर सूर्यवंशी ने स्थानीय जनसंपर्क विभाग को जिले की आंगनवाड़ी और पहली से 12वीं तक के शासकीय और आशासकीय स्कूलों में अवकाश करने की जानकारी दी।
तब जाकर व्हाट्सएप पर 8:30 बजे बाद मैसेज आना शुरू हुए। तब तक स्कूलों में प्रार्थनाएं हो चुकी थी। आधे सूखे और आधे भीगे बच्चे क्लासों में चले गए थे। कुछ बच्चे ठिठुर भी रहे थे। इधर बच्चों की परीक्षाएं भी चल रही है। बच्चे घर से निकल चुके थे। रेन सूट पहनकर जब वे स्कूल पहुंचे तो संचालकों ने कहा कि कलेक्टर ने छुट्टी कर दी है। यह परीक्षा आखिरी पेपर के बाद होगी। यदि ऐसा पहले ही घोषित कर दिया जाता तो बच्चों को खामखा परेशान ना होना पड़ता। कई विद्यार्थी अपने वाहनों से ही स्कूल आते जाते हैं।
जिम्मेदार जिला प्रशासन की हद दर्जे की लापरवाही
कलेक्टर द्वारा देर से लिए गए निर्णय के मुद्दे पर अभिभावक और स्कूल संचालकों ने हरमुद्दा से चर्चा में आक्रोश जताया। सभी का कहना था कि जब मौसम विभाग ने प्रदेश में भारी चेतावनी का अलर्ट जारी किया था तो फिर कलेक्टर ने उस पर ध्यान क्यों नहीं दिया? क्यों आंकड़ों का इंतजार करते रहे? पिता मनोज, सतीश, मां अन्विति, पद्मश्री, आरती, वृत्तिका, अभिभावकों का कहना है कि यह तो जिम्मेदार जिला प्रशासन की हद दर्जे की लापरवाही है। बच्चों जान के साथ खिलवाड़ है। भारी बारिश के चलते यदि कोई अनहोनी हो जाए। हादसा हो जाए और बच्चे प्रभावित हो जाए तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेता? प्रशासन तो जांच समिति बनाकर इति श्री कर लेता, लेकिन जिन पालकों के बच्चे प्रभावित होते वे क्या करते? इसे तो जानबूझकर की गई गलती ही कहा जाएगा।
आपदा प्रबंधन ने भी गंभीर मुद्दे को कर दिया नजरअंदाज
स्कूल संचालकों में नाम नहीं प्रकाशित करने की बात पर बताया कि स्कूलों में छुट्टी करने में हमें कहां दिक्कत थी। कलेक्टर साहब रात को स्कूलों में अवकाश घोषित कर देते तो सभी को सूचना दे दी जाती। बच्चों को परेशान ना होना पड़ता। जिला प्रशासन का मैनेजमेंट यहां पर गड़बड़ा गया। आपदा प्रबंधन के जिम्मेदारों ने भी गंभीर मुद्दे को नजरअंदाज कर दिया।