धर्म संस्कृति : जीवन और मरण सुधर गए, तो हो जाएगा आत्म सुधार

आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा ने कहा

छोटू भाई की बगीची में प्रवचन

हरमुद्दा
रतलाम, 26 सितंबर। हर व्यक्ति को आत्म चिंतन करना चाहिए कि उसमें सुधार आए। लेकिन आज व्यक्ति दूसरों में सुधार आए, यही सोचता है। खुद में सुधार की कोशिश नहीं करता। सुधार का आधार संस्कार है। संस्कार से ही जीवन में सुधार आता है। सुधार के तीन आयाम जीवन सुधार, मरण सुधार और आत्म सुधार है। यदि जीवन और मरण सुधर गए, तो आत्म सुधार हो जाएगा।


यह बात परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरूष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने कही। छोटू भाई की बगीची में प्रवचन देते हुए उन्होंने कहा कि सबसे पहले जीवन सुधार करो, क्योंकि जीवन नहीं सुधरेगा, तो मरण नहीं सुधरेगा। जीवन और मरण के सुधार से आत्मा का सुधार अपने आप हो जाएगा। जीवन का सुधार संस्कारों के जागरण से होगा। संस्कार से विचार बनते है, विचारों से आचरण और फिर आचरण से व्यवहार बनता है। संस्कार से व्यवहार का चक्र पूरा होता है, तभी पता चलता है कि हमारे अंदर कितना सुधार हुआ है।

मौत होता है केवल वर्तमान

आचार्यश्री ने कहा कि जीवन, मरण और आत्मा का सुधार मानव जीवन में ही कर सकते है। इसलिए मनुष्य जीवन का बहुत महत्व है और इसे समझकर हर व्यक्ति को जीवन मे सुधार करना चाहिए। संसार में मौत का कोई भूत और भविष्य नहीं होता। उसका केवल वर्तमान ही होता है, जो किसी भी पल घटित हो सकता है। इसलिए ऐसा पल आने से पहले जीवन को सुधार लेना चाहिए।

सुधार के मार्ग से होगा जीवन का निर्माण

आचार्यश्री ने कहा कि साधु-संतों का जीवन गर्व और गौरव का होता है। सांसारी लोगों के पास फलेट, फार्म, फर्नीचर, फेमेली और फायनेंस आदि सभी होते है, लेकिन गर्व और गौरव का जीवन नहीं है। जबकि साधु-संतो के पास कुछ नहीं और गर्व एवं गौरव है। ये गर्व और गौरव त्याग, समर्पण, सरलता, विनम्रता का होता है। संसार में रहने वाले फलेट, फार्म, फर्नीचर, फेमेली और फायनेंस सभी बनाते है, लेकिन जीवन नहीं बनाते। जीवन निर्माण के लिए सुधार के मार्ग पर चलने से होगा।

देश के विभिन्न राज्यों से आए भक्त

आरंभ में उपाध्याय प्रवर श्री जितेशमुनिजी मसा ने आचारंग सूत्र पर प्रवचन देते हुए कर्मों का हिसाब क्लियर करने पर जोर दिया। इंदौर महिला मंडल की कांता कटकानी, उडीसा से आए बसंत जैन और अभय सेहलोत ने भी भाव व्यक्त किए। इस दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से आए भक्तों के साथ बडी संख्या में श्रावक-श्राविकागण उपस्थित रहे।

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