5 वीं सूची का इंतजार : उम्मीदों पर लटक रही तलवार, टिकट लेने में होगी जीत या हार, सब है फिलहाल मझधार
⚫ 1 महीने बाद हो जाएगा मतदान, मगर अभी चल रहा है टिकट के लिए इम्तिहान
⚫ मालवा और निमाड़ के दो दर्जन से अधिक दावेदार, साबित करने में जुटे हैं हम हैं वफादार
हेमंत भट्ट
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में मतदान की घोषणा होने के बाद उम्मीदवारों की उम्मीदें और परवान चढ़ने लगी है। मगर खास बात तो यह है कि उम्मीदों पर अभी तलवार लटक रही है। अब तो पांचवी सूची ही बताएगी कि टिकट लेने में उनकी जीत होगी या फिर उन्हें हार का मुंह देखना पड़ेगा हालांकि फिलहाल सब मझधार में है। खास बात यह है कि मालवा और निमाड़ के दो दर्जन से अधिक दावेदारों ने वफादारी साबित करने के लिए कोई कौर कसर बाकी नहीं छोड़ी है। 1 महीने बाद मतदान हो जाएगा मगर अभी भी टिकट के लिए इम्तिहान चल रहा है।
वैसे देखा जाए तो राजनीति एक ऐसा ग्लेमर है जिसमें राज के लिए कोई नीति नहीं होती है, उसी का खामियाजा उन्हें भुगतना भी होता है, जो जैसा करता है, वैसा भरता है। आज नहीं तो कल मगर उन्हें राज करने की नीति के मोह जाल में फंसकर अपने अस्तित्व को सूली पर चढ़ाना होता है, चाहे वह अच्छा करें या बुरा करें, परिणाम भुगतना ही होता है।
नेपथ्य वाले फिर से पर्दे पर
राजनीति के जानकारों का कहना है कि अब तक भाजपा ने कुछ खास उम्मीदवारों की सूची घोषित की है। उसको दृष्टिगत रखते हुए यह स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है कि भाजपा ने मालवा निमाड़ की दो दर्जन से अधिक सीटों पर टिकट उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं। इसका मतलब साफ है कि भारतीय जनता पार्टी इन सीटों पर नए चेहरे भी उतार सकती है या फिर उन उम्मीदवारों को पुनः प्रत्याशी बन सकती है जो पहले कभी मंत्री रहे हो या विधायक रहे हो, जो पिछले विधानसभा सत्र में विधानसभा नहीं पहुंचे हैं, उन्हें पार्टी फिर से तवज्जो दे सकती है। इससे पार्टी एक तीर से दो निशान करेगी, जिनके बारे में शिकायत मिली है, उनको सजा भी दे देगी वहीं जो नेपथ्य में चले गए थे, उन्हें फिर से पर्दे पर ले आएगी।
उनकी विधायकी पर हो सकती है बमबारी
राजनीति के पंडितों की माने तो खास बात तो यह है कि मालवा और निमाड़ क्षेत्र में करीब एक दर्जन विधायकों की विधायकी पर कभी भी बमबारी हो सकती है। बात यह है कि इन एक दर्जन विधायकों में वे भी शामिल है जो कि पद की खातिर भाजपा का दामन थाम लिया है मगर अब ऐसा लग रहा है कि भाजपा भी उनसे पिंड छुड़ाना चाहती है। इसलिए उनकी दावेदारी भी खटाई में पड़ सकती है। ऐसे स्थान पर पार्टी नए चेहरों को मौका दे सकती है। अब तक घोषित सूची का अध्ययन करें तो पता चलता है कि मालवा निमाड़ के तकरीबन डेढ़ दर्जन विधायकों के टिकट पर कोई निर्णय नहीं हुआ है।
ना घर के, न घाट के
जब उम्मीदवारों द्वारा राज के लिए कोई नीति नहीं अपनाई जाती। तो उनके लिए पार्टी कौन सी नीति अपनाएंगी, यह अब तक पता नहीं चल पाया है मगर यह बात सही है कि जिन लोगों ने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है, लगता है अब ना तो घर के रहेंगे ना घाट के ऐसे लोगों में खंडवा जिले की मांधाता से नारायण पटेल, नेपानगर सीट से सुमित्रा कास्डेकर और बड़वाह से सचिन बिरला भी शामिल हैं। राजनीति में कुछ भी हो सकता है। कभी चित तो कभी पट।
इनकी दावेदारी पर मंडरा रहे संकट के बादल
पार्टी सूत्रों की माने तो शुजालपुर से इंदर सिंह परमार के टिकट पर भी संकट है। वे सरकार में मंत्री भी हैं। इसके अलावा रतलाम ग्रामीण से दिलीप सिंह मकवाना, गरोठ से देवीलाल धाकड़, बागली से पहाड़ सिंह कनौज, खंडवा से देवेंद्र वर्मा, धार से नीना वर्मा, इंदौर पांच से महेंद्र हार्डिया, महिदपुर से बहादुर सिंह चौहान, पंधाना से राम दोगने, उज्जैन ग्रामीण से पारस जैन, मनासा से अनिरुद्ध मारु को पार्टी प्रत्याशी बनाएगी या फिर बाहर का रास्ता दिखाएगी, अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है मगर कुछ तो अनहोनी हो सकती है।
इसलिए दौड़ से बाहर
सूत्रों का कहना है कि नीमच से दिलीप सिंह परिहार को पार्टी टिकट दे सकती है, किन्तु सांसद सुधीर गुप्ता को भी पार्टी के पास टिकट देेेने का विकल्प है। कैलाश विजयवर्गीय को टिकट मिलने के बाद उनके बेटे आकाश विजयवर्गीय टिकट की दौड़ बाहर हो गए हैं। परिवारवाद से बचने के लिए उनका टिकट कट सकता है। इनमें महू विधायक उषा ठाकुर की सीट बदली जा सकती है। यहां ठाकुर को टिकट मिलने की संभावना बन सकती है।
इनकी भी अपनी ढपली अपना राग
भाजपा की रीति नीति से वाकिफ़ जानकारों का कहना है मालवा निमाड़ की भाजपा ने 28 सीटों पर टिकट घोषित नहीं किए हैं। इन सीटों पर भाजपा नए चेहरे और पुराने विधायकों को उम्मीदवार बना सकती है। रतलाम ग्रामीण सीट से पूर्व विधायक रह चुके मथुरालाल डामर और संदीप निंगवाल, मान्धाता सीट से संतोष राठौर और नरेंद्र सिंह, जावरा से कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए केके कालूखेड़ा, इंदौर की पांच नंबर सीट से गौरव रणदिवे, नीमच से पवन पाटीदार, धार से राजीव यादव, अशोक जैन, मनासा से कैलाश चावला उम्मीद के आकाश में अपना परचम लहरा रहे हैं। अपनी ढपली से अपना राग अलाप रहे हैं। इन सबको आशाएं ही नहीं पूरा विश्वास है कि वह चुनावी समर के लिए टिकट हासिल करने की दौड़ में सफल हो सकते हैं।
इनके साथ हो सकता है ऐसा भी
जावरा विधायक राजेंद्र पांडे को भाजपा लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बना सकती है। फिलहाल उनका टिकट भी खटाई में है, वहीं मंदसौर सांसद सुधीर गुप्ता को भी विधानसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है।