…और बचा ली उसकी जान : मानसिक रोगी मेडिकल कॉलेज की छत से पाइप के सहारे उतरने लगी, फंस गई बीच में, डीन को फुर्सत नहीं बात करने की
⚫ 2 दिन पहले ही उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज में किया था भरती
⚫ बेटा गया था नाश्ता लेने
⚫ मशक्कत के बाद फायर ब्रिगेड की टीम ने सब कुशल उतरा नीचे
⚫ मेडिकल कॉलेज प्रशासन की लापरवाही नजर आई सामने
⚫ लोगों का कहना बहु मंजिला इमारत में ऊपर छत पर जाने का रास्ता रहता है बंद
हरमुद्दा
रतलाम, 19 अक्टूबर। गुरुवार को मेडिकल कॉलेज में उस समय हड़कंप मच गया, जब मानसिक रोगी महिला अस्पताल की ऊपर की छत से पाइप के सहारे नीचे उतरने लगी और फंस गई। फायर ब्रिगेड के दल ने काफी मशक्कत के बाद उसे स कुशल नीचे उतरा और उसकी जान बचाई। इस मामले में जानकारी लेना चाही तो मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर जितेन्द्र गुप्ता को बात करने की फुर्सत नहीं थी।
मिली जानकारी के अनुसार आदिवासी अंचल बाजना के इमलीपाड़ा की रहने वाली पारीबाई को उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज में 17 अक्टूबर को ही भर्ती किया था। उसका बेटा महेश सुबह नाश्ता लेने गया था, तभी महिला वार्ड से निकलकर ऊपर छत पर जा पहुंची, जहां से वह पाइप के सहारे नीचे उतरने लगी। बाहर सुरक्षा गार्ड ने देखा। सभी को सूचना दी। सब हक्के-बक्के रह गए। पुलिस और फायर ब्रिगेड को सूचना दी गई। इस दौरान काफी संख्या में भीड़ जमा हो गई।
इतने में बेटा भी आ गया और संभाला मां को
इतने में बेटा महेश चरपोटा भी आ गया और ऊपर छत से रस्सी के सहारे नीचे आया है और मां को संभाला। इधर फायर ब्रिगेड भी मौके पर पहुंच गई। काफी मशक्कत के बाद महिला को उतारा गया और अस्पताल में भर्ती का उपचार किया गया। गनीमत रही की महिला इस दौरान चुपचाप बैठी रही वरना वह नीचे कूद जाती तो कुछ भी अनहोनी हो सकती थी। बेटे महेश ने बताया कि पिताजी का निधन हो गया है। मां मानसिक रूप से बीमार है। उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया है।
मरीजों की किसी को कोई फिक्र नहीं
लोगों का कहना था कि प्रथमदृष्टया तो इस मामले में मेडिकल कॉलेज प्रशासन की अव्वल दर्जे की लापरवाही सामने नजर आ रही है। वैसे तो ऊपर छत पर जाने के लिए दरवाजा बंद रहना चाहिए। ताला लगा रहना चाहिए है मगर मेडिकल कॉलेज में ऐसा कुछ नहीं था। वार्ड से मरीज ऊपर छत पर पहुंच गया। यह घोर लापरवाही है। वैसे किसी भी बहु मंजिला इमारत में ऊपर छत पर जाने का दरवाजा बंद ही रहता है। उसमें ताला लगा रहता है, ताकि कोई भी व्यक्ति ऊपर छत से कूद कर आत्महत्या ना कर सके या अन्य कोई घटना को अंजाम न दे सके। मगर यहां ऐसा कुछ नहीं था, बेधड़क मानसिक रोगी ऊपर पहुंच गई।
डीन को फुर्सत नहीं बात करने की
इस घटना के बारे में जब मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. जितेंद्र गुप्ता से जानकारी लेना चाही, तो उन्हें बात करने की फुर्सत नहीं थी। वर्जन लेने के लिए मेडिकल कॉलेज बुला रहे थे।