आदर्श आचरण संहिता : जनता के बीच विश्वास पैदा करना, मतदाताओं को प्रलोभन देने पर अंकुश लगाना, शासकीय मशीनरी के दुरूपयोग को रोकना और नागरिक अधिकारों की रक्षा करना

उम्मीदवार और मतदाताओं के लिए पालन करना जरूरी आचरण संहिता का

1960 में केरल राज्य द्वारा बनाई गई थी आदर्श आचरण संहिता

⚫डॉ. शालिनी श्रीवास्तव

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन कार्यक्रमों की घोषणा के साथ ही संबंधित राज्यों में आदर्श आचरण संहिता प्रभावशील हो गई। मध्यप्रदेश सहित अन्य 05 राज्यों में विधानसभा चुनाव नवंबर में होना है। आदर्श आचरण संहिता का नाम आते ही प्रायः जनसामान्य में भय और भ्रम की स्थिति बनी रहती है और उन्हे शासकीय कामकाज में कठिनाईयाँ होगी, ऐसा अनुमान लगा लिया जाता है जबकि ऐसा है नहीं।

वास्तव में देश और राज्यों में निष्पक्ष निर्वाचन सम्पन्न कराने के लिये भारत निर्वाचन आयोग द्वारा कुछ नियम निर्धारित किये गये हैं जिसका मुख्य उद्देश्य निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान सभी उम्मीदवारों के लिये समान अवसर उपलब्ध कराना, जनता के बीच विश्वास पैदा करना, मतदाताओं को प्रलोभन देने पर अंकुश लगाना, शासकीय मशीनरी के दुरूपयोग को रोकना और नागरिक अधिकारों की रक्षा करना है। नियमों का यही मिला-जुला रूप आदर्श आचरण संहिता है। हालांकि निर्वाचन अवधि के अलावा भी इनका पालन किया जाना चाहिये किंतु विशेष रूप से निर्वाचन अवधि में शासन-प्रशासन, जनप्रतिनिधि, राजनैतिक दलों और अभ्यर्थियों द्वारा आचार संहिता का पालन करना उनकी प्रमुख जिम्मेदारी है जिसकी निगरानी भारत निर्वाचन आयोग एवं मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी मध्यप्रदेश भोपाल द्वारा की जाती है।

परिणाम की घोषणा तक रहती है आदर्श आचरण संहिता

यह निर्वाचन वाले राज्यों (विधानसभा निर्वाचन) तथा देश (लोकसभा निर्वाचन) में निर्वाचन तिथि की घोषणा के साथ ही सम्पूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया अर्थात परिणामों की घोषणा तक लागू रहती है।

1960 में केरल राज्य द्वारा बनाई गई थी आदर्श आचरण संहिता

⚫ सबसे पहले 1960 में विधानसभा निर्वाचन में केरल राज्य द्वारा आदर्श आचरण संहिता निर्धारित की गई।

⚫ 1962 में लोकसभा तथा विभिन्न विधानसभा निर्वाचन में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों के लिए उक्त संहिता सर्कुलेट की गई।

⚫ वर्ष 1991 में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा आचार संहिता को समेकित किया गया और कढ़ाई से उसका पालन प्रावधानित किया।

⚫ 16 अप्रैल 2001 से यह निर्णय लिया गया कि आदर्श आचरण संहिता किसी भी निर्वाचन की घोषणा की तिथि से लागू मानी जाएगी।

⚫ फरवरी 2014 में आदर्श आचरण संहिता में भाग-8 जोड़कर राजनैतिक दलों के इलेक्शन मैनिफेस्टी का प्रावधान किया है।

संहिता लागू होते ही

⚫ 24 घंटे के भीतर सरकारी भवनों व सम्पत्ति पर अनाधिकृत विरूपण (सरकारी योजनाओं / जनप्रतिनिधियों के प्रचार-प्रसार सामग्री) हटाई जाएगी।

⚫ 48 घंटे के भीतर सार्वजनिक स्थानों का विरूपण हटाया जाएगा।

⚫ 72 घंटे के भीतर निजी सम्पत्ति पर विरूपण हटाया जाएगा।

⚫24 घंटे के अंदर शिकायतों के संबंध में कन्ट्रोल रूम क्रियाशील किए जाएगें।

आदर्श आचरण संहिता के 8 भाग

आयोग द्वारा आदर्श आचरण संहिता को लगभग 08 भागों में बाँटा गया है जैसे – साधारण आचरण, सभाएँ, जुलूस मतदान दिवस, मतदान केन्द्र, प्रेक्षक, सत्ताधारी दल निर्वाचन घोषणा पत्रों से संबंधित दिशा-निर्देश आदि। आचार संहिता के कुछ मुख्य नियम जनसामान्य की जानकारी के लिए इस प्रकार है।

⚫ कोई भी दल या उम्मीदवार ऐसा कोई कार्य नही करेगा जो जाति, धर्म, भाषायी समुदायों में मतभेद, घृणा की भावना पैदा करे या तनाव पैदा करे।

⚫ अन्य राजनैतिक दलों की आलोचना उनके कार्यक्रम एवं नीतियों को लेकर ही की जा सकेगी, किसी अभ्यर्थी के व्यक्तिगत जीवन तथा तथ्यहीन बातों को लेकर आलोचना या अनर्गल कोई बात नहीं कहेंगे।

⚫ निर्वाचन प्रचार-प्रसार के लिये मंदिर, मस्जिद, चर्च या अन्य किसी धार्मिक स्थान का प्रयोग नहीं होगा।

⚫ मतदाताओं को प्रलोभन / रिश्वत, डराना-धमकाना, मतदान केन्द्र के 100 मीटर के भीतर प्रचार-प्रसार करना, भ्रष्ट आचरण जैसे कार्यों से दलों और अभ्यर्थियों को बचना चाहिये।

⚫ प्रचार-प्रसार के लिये बगैर अनुमति के किसी व्यक्ति के भवन भूमि, आहते दीवार का उपयोग पोस्टर, बैनर, झंण्डे चिपकाने, नारे लेखन के लिये नही हो सकेगा।

⚫ जनप्रतिनिधि या विभिन्न पदाधिकारी शासकीय वाहन, विमान, भवन का उपयोग चुनाव प्रचार के लिये नहीं करेंगे।

⚫ बगैर अनुमति के रैली, जुलूस, सभा आदि नहीं होंगे।

⚫ किसी भी तरह की शासकीय घोषणा, लोकार्पण और शिलान्यास नहीं होगा।

⚫ मतदान के दिन और उसके पूर्व के 48 घंटों के दौरान किसी को शराब पेश / वितरित करना प्रतिबंधित होगा।

⚫ डॉ. शालिनी श्रीवास्तव

(लेखिका वर्तमान में अपर कलेक्टर एवं उप जिला निर्वाचन अधिकारी रतलाम पदस्थ है)

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