विचार सरोकार : नहीं छूट रहा हमारा मोह

श्रोता : संसार नाशवान् है – यह हम समझते हैं, फिर भी हमारा मोह नहीं छूट रहा है।

स्वामीजी नाशवान् समझा नहीं है, सुना है। मरने पर आदमी को घर पर रखते हो क्या ? क्यों नहीं रखते ? आदमी तो वही है, जो पहले था ! इसलिए नहीं रखते कि वह मुर्दा हो गया। एक दिन यह सब मुर्दा हो जाएगा। आप बताओ कि कौन मुर्दा नहीं होगा? एक दिन छोड़ना तो पड़ेगा ही। मुर्दा होने पर छोड़ोगे तो मुर्दा होने से पहले ही छोड़ दो।

साधु विचार कर भली समझिया दिवी जगत को पूठ।
पीछे देखी बिगड़ती तो पहलेहि बैठा रूठ ॥

जो पहले ही समझ लेता है, वह बुद्धिमान होता है, और जो पीछे समझता है, वह महान् मूर्ख होता है। संसार में एक सेवा के सिवाय और कोई सम्बन्ध मत रखो।


जय भगवत गीता जय सनातन धर्म

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