धर्म संस्कृति : धर्मनिष्ठ होकर संस्कारवान और चरित्रवान बनाएं जीवन को

अंतरराष्ट्रीय श्रीमद्भागवत  आचार्य सत्यव्रत शास्त्री ने कहा

20वां श्रीमद् भागवत सप्ताह गीता जयंती महोत्सव शुरू

श्री राधाकृष्ण संस्कार परिषद एवं गीता जयंती महोत्सव समिति के बैनर तले आयोजन

हरमुद्दा
रतलाम, 17 दिसंबर। जन्म तो सभी लेते हैं चाहे इंसान हो या कोई और। मगर बुद्धि केवल मनुष्य को ही मिली है। इससे चिंतन, मनन करना है, जीवन में क्या सही है। क्या गलत है। यह समझ बुद्धि के सदुपयोग से ही आती है। यह सब प्रेरणा धर्म शास्त्रों से ही मिलती है। जब तक जीवन में अच्छी बातों को सुनेंगे नहीं, तब तक उन पर अनुकरण नहीं किया जा सकता है। मनुष्य को अपना जीवन धर्मनिष्ठ होकर संस्कारवान और चरित्रवान बनाना चाहिए, ताकि समाज प्रेरणा ले सके।

यह विचार अंतरराष्ट्रीय ओजस्वी वक्ता आचार्य सत्यव्रत शास्त्री ने व्यक्त किए। विश्व के 22 देश में सनातन धर्म का प्रचार प्रसार कर जागरूक करने वाले आचार्य शास्त्री के सान्निध्य श्री हनुमान बाग अमृत सागर पर सात दिवसीय श्रीमद् भागवत सप्ताह गीता जयंती महोत्सव शुरू हुआ।

श्रीमद् भागवत ग्रंथ एवं श्री भागवत आचार्य को आयोजन स्थल पर लाते हुए धर्मालुजन

श्रीमद् भागवत ग्रंथ पूजन एवं आचार्य श्री शास्त्री के सम्मान से शुरुआत

20वें श्रीमद् भागवत सप्ताह एवं गीता जयंती महोत्सव के प्रारंभ में पहले दिन के यजमान गिरधर ऋचा द्विवेदी दंपत्ति, डॉ. राजेन्द्र शर्मा ने धर्म ग्रंथ श्रीमद् भागवत का पूजन करते हुए भागवताचार्य का सम्मान किया।

हमें गर्व होना चाहिए कि हम धर्मनिष्ठ हैं

आचार्य श्री शास्त्री ने धर्म प्राण जनता से कहा कि मनुष्य जीवन काफी पुण्य प्रताप से मिलता है। इस जन्म में यदि धर्म कर्म नहीं किया तो यह जीवन व्यर्थ हो जाएगा। अपने विवेक से भारतीय संस्कृति, धर्म संस्कार को आत्मसात करना चाहिए। हमें गर्व होना चाहिए कि हम धर्मनिष्ठ हैं।

जीवन में हासिल करने के लिए बनाए रखें चरित्र

आचार्य श्री शास्त्री ने कहा कि जो जीवन मिला है, उसे चरित्रवान बनाएं। जिंदगी में सभी कुछ हासिल करना आसान है, मगर चरित्र को बनाए रखना काफी मुश्किल है। यह एक तपस्या है। साधना है। जिन्होंने अपना चरित्र बनाए रखते हुए हासिल किया है, वह कभी व्यर्थ नहीं जाएगा। वह राशि सद कार्य में ही खर्च होगी। जिन्होंने अपना ईमान और जमीर बेच कर संपत्ति हासिल की है, वह विपत्ति ही लाएगी, यह तय है।

वातावरण को धर्ममय बना दिया संगीतकारों ने

श्रीमद् भागवत सप्ताह के पहले दिन आचार्य श्री शास्त्री ने श्रीमद् भागवत महात्म्य, नारद चरित्र कुंती स्तुति, का वर्णन किया। हाथरस से आए गायक कलाकार और संगीतकारों ने सु मधुर भजन प्रस्तुत कर वातावरण को धर्ममय बना दिया।

आरती के बाद प्रसाद वितरण

श्री गीता जयंती महोत्सव के अध्यक्ष मनोज शर्मा, सतीश राठौर, शान्तु गवली, रक्षित मेहता, पार्षद राजेंद्र चौहान,  सत्यनारायण शर्मा, मोहन गोधा, मुकेश कृष्णात्रे, जसपाल सलूजा,  ईश्वर पाटीदार,  केशव द्विवेदी, सिद्धार्थ द्विवेदी, अरुणेश व्यास ने आरती की। प्रसाद वितरण के साथ पहले दिन का उत्सव संपन्न हुआ। पूजन कार्य नंदकिशोर व्यास एवं दुर्गेश रावल ने किया।

23 दिसंबर को होगा विश्राम

श्री राधकृष्ण संस्कार परिषद एवं गीता जयंती महोत्सव समिति के संस्थापक एवं संयोजक पुष्पोद्भव शास्त्री ने बताया कि  प्रतिदिन 12 से 4 बजे तक कथा श्रवण कराई जाएगी। 23 दिसंबर को श्रीमद् भागवत सप्ताह का विश्राम होगा

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