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सामाजिक सरोकार : कैंसर पीड़ित महिला लड़ रही थी जिंदगी और मौत से, इंदौर के एक रक्तवीर ने दिया अनजान महिला को नया जीवन दान

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इंदौरी रक्तवीरों का जज़्बा भोपाल में, रतलामी रक्त वीरों की भी रही सराहनीय भूमिका

डोनेशन इतना कठिन और जटिल के परिवार तक इसको करने के लिए तैयार नहीं

भोपाल का पहला WBC डोनेशन

हरमुद्दा के लिए वेणु शर्मा
गुरुवार 21 दिसंबर। भोपाल एम्स हॉस्पिटल में एडमिट  अनजान कैंसर पीड़ित महिला रानू जी जो की जिंदगी और मौत के बीच लड़ रही थी। WBC काउंट केवल 350 बचे थे। ऐसे में डॉक्टरों ने भोपाल का पहला ग्रेन्यूलोसाइट (WBC) डोनेशन करने का निर्णय लिया। अब उनके लिए सबसे बड़ी समस्या थी। इस डोनेशन को करने के लिए रक्तदाता का मिलना, क्योंकि यह डोनेशन इतना कठिन और जटिल है कि परिवार तक इस डोनेशन को करने के लिए तैयार नहीं होता है। भोपाल में सभी संस्थाओं से बात करने के बाद जब कहीं से मदद नहीं मिल पाई, तब इंदौर के एक्टिव एसडीपी रक्तदाता ग्रुप के एडमिन अंश विजयवर्गीय से संपर्क किया।उन्हें सारी समस्याएं बताकर उनसे मदद मांगी।

तुरंत एक्टिव एसडीपी रक्तदाता के ग्रुप एक्टिव मेम्बर हेमंत वर्मा तैयार हुए और 7 बजे भोपाल एम्स हॉस्पिटल पहुंचकर अपनी सारी जांच करवाकर डोनेशन करने के पूर्व अकाउंट बढ़ाने के लिए अपने शरीर में दो इंजेक्शन लगवाए। और रात 11 बजे सबसे कार्यो से फ्री होकर घर पहुंचे। सुबह 9 बजे पुनः एम्स हॉस्पिटल पहुंचकर डोनेशन प्रक्रिया प्रारंभ हुई। 10 साइकिल हुए ही थे कि हाथ में क्लॉटिंग जमना चालू हो गई, फिर डॉक्टर द्वारा तुरंत दूसरे हाथ में पुनः नीडल लगाकर इस प्रक्रिया को पूर्ण किया। इस तरह 4 घंटे का डोनेशन पूर्ण हुआ और एक अनजान इंदौर के रक्तवीर द्वारा अनजान महिला को नया जीवन दान दिया गया। अंश विजयवर्गीय थेलेसिमिया बच्चो BTM केस में वरदान के रूप में उनके साथ होते है।

व्हाइट ब्लड सेल्स (WBC)

व्हाइट ब्लड सेल्स शरीर को बीमारियों से लड़ने के काबिल बनाता है। जब मानव शरीर पर जब बैक्टीरिया या वायरस हमला करते हैं, तब हमारे खून में मौजूद सफेद रक्त कोशिकाएं उनसे डटकर सामना करती हैं, जिन्हें लिम्फोसाइट्स (Lymphocytes) कहते हैं। जब भी शरीर में कोई भी बैक्टीरिया या वायरस का हमला करता करता है, ये सबसे पहले सक्रिय होती हैं। इनका रंग सफेद या बेहद हल्के नीले रंग का दिखाई देता है।

सफेद रक्त कोशिकाओं (WBC) का निर्माण

सफेद रक्त कोशिका का निर्माण भी अस्थि मज्जा (bone marrow) में ही होता है। ये हीमैटोपोएटिक स्टेम सेल्स से बनी हुई होती हैं। इनमें अलग-अलग नेचुरल कीलर-सेल्स, बी-सेल्स और टी-सेल्स होते हैं।।

सफेद रक्त कोशिकाओं (WBC) की कमी से शरीर पर प्रभाव

यदि शरीर में सफेद रक्त कोशिकाएं कम हो जाए, तो शरीर में संक्रमण बहुत तेजी से फैलता है, जिससे बीमारी बड़ी आसानी से बढ़ने लगती है। शरीर को बीमारियों से बचाने के लिए सफेद रक्त कोशिका बहुत जरूरी होती है।।

रतलामी रक्तवीरों की भी रही सराहनीय भूमिका

हेल्पिंग हैंड्स ग्रुप संस्थापक अनिल रावल, सदस्य दिलीप पाटीदार, बोदीना अक्षांश मिश्रा, आसिफ खान, अरुण पटेल नगरा, नागेश्वर पाटीदार, दीपक पाटीदार अंबोदिया की सराहनीय भूमिका रही।

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