जिले के पहले सप्त गौमन्दिर का शुभारम्भ मांगल्य मन्दिर प्रवेश द्वार पर मकर संक्रांति को
⚫ यहां दर्शनार्थी सप्त गौमाता के दर्शन एवं गौग्रास अर्पण का मिलेगा पुण्य लाभ
⚫ श्रद्धालु आहुति देकर लेंगे गौसंवर्धन एवं संरक्षण का संकल्प
⚫ गौ माता को लगेंगे 56 भोग
⚫ नीलेश सोनी
रतलाम, 14 जनवरी। मांगल्य मन्दिर के प्रवेश द्वार पर जिले की प्रथम और प्रदेश के दूसरी मनोरम सप्त गौमन्दिर का शुभारम्भ मकर संक्रांति के पर्व पर समारोहपूर्वक सोमवार 15 जनवरी 24 को विधिविधान से होगा।
मांगल्य मन्दिर एवं श्री कृष्ण कामधेनु गौशाला द्वारा संयुक्त रूप से ओधोगिक क्षेत्र स्थित मांगल्य मन्दिर प्रवेश द्वार पर सप्तरंगी गौमाता को रखा जाएगा। यहां दर्शनार्थी सप्त गौमाता के दर्शन एवं गौग्रास अर्पण कर पुण्य लाभ प्राप्त कर सकेंगे। इस सप्त गौमन्दिर के शुभारंभ के अवसर पर एकादश विप्रबंधुओं द्वारा विधिवत पूजन, भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापन व पंचकुंडी यज्ञ में श्रद्धालु आहुति देकर गौसंवर्धन एवं संरक्षण का संकल्प लेंगे।
गौ माता को लगेंगे 56 भोग
कार्य्रकम के तहत सुबह 9 बजे पूजन एवं भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक होगा। तत्पश्चात अतिथि उद्बोधन व मध्याह्न में गौमाता को 56 भोग व आरती होगी। आयोजन में मांगल्य मन्दिर ट्र्स्ट ने सभी गौप्रेमियों को आमंत्रित किया है।
क्या है सप्त गौमन्दिर
भारतीय संस्कृति में गौमाता के दर्शन, पूजन, परिक्रमा,स्पर्श के साथ सेवा का अत्यधिक महत्व है। मांगल्य मन्दिर में वर्ष 2003 में स्थापित श्री कृष्ण कामधेनु गौशाला में 300 से अधिक गिर, साहीवाल आदि भारतीय नस्ल के देशी गौवंश की शास्त्र एवं संतों के मार्गदर्शन के अनुसार सेवा की जा रही है। शास्त्र के अनुसार सात गर्भवती गौमाता की परिक्रमा करने पर नि:संतान को संतान की प्राप्ति तथा गर्भवती महिला को प्रसव प्रक्रिया आसानी से होती है। इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखकर सप्त मन्दिर की स्थापना की गई है।