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साहित्य सरोकार : वैचारिकता को कर्म के पटल पर लाना आवश्यक

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वरिष्ठ कवि प्रणयेश जैन ने कहा

जनवादी लेखक संघ ने ‘उत्तरायण में कविता’ किया आयोजन

हरमुद्दा
रतलाम, 14 जनवरी।  वैचारिकता को कर्म के धरातल पर लाना आवश्यक है । कोई भी विचार तभी आगे बढ़ता है जब उसकी अगली पीढ़ी तैयार हो । वैचारिकता के लिए भी नई पीढ़ी का विचार संपन्न होना जरूरी है । मिथकों को इतिहास और इतिहास को मिथक बनाने के खेल को नई पीढ़ी समझेगी तभी वह वैचारिक संपन्न हो पाएगी।


यह विचार जनवादी लेखक संघ रतलाम द्वारा आयोजित ‘उत्तरायण में कविता’ कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि प्रणयेश जैन ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि रचनाकर्म कठिन कार्य है। इसके लिए निरंतर अभ्यास और पठन-पाठन बहुत आवश्यक है।

धारदार हो सकेगी रचना

वरिष्ठ कवि प्रो. रतन चौहान ने इस अवसर पर नई पीढ़ी का कविता के प्रति रुझान सुखद बताया । उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी वैचारिकता के सही मार्ग को समझें और आगे बढ़े तभी उसकी रचना धारदार हो सकेगी।

इन्होंने भी किए विचार व्यक्त

आयोजन में योगिता राजपुरोहित ने अपनी कविता से नए आयाम प्रस्तुत किए। युवा रचनाकार दिव्यांश पाठक, हीरालाल खराड़ी, जितेंद्र सिंह पथिक ने भी अपनी रचनाओं के माध्यम से समसामयिक मुद्दों को सामने रखा । मंदसौर से  आए कवि जनेश्वर में अपनी महत्वपूर्ण कविताओं का पाठ किया।

यह थे मौजूद

जनवादी लेखक संघ के अध्यक्ष रणजीत सिंह राठौर, सचिव सिद्धीक़ रतलामी सहित आशीष दशोत्तर , कीर्ति शर्मा, आशा श्रीवास्तव ने भी रचना पाठ किया । इस अवसर पर मांगीलाल नागावत, सत्यनारायण सोढ़ा , एमके व्यास एवं अन्य सूधिजन मौजूद थे।

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