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गौसंवर्धन एवं संरक्षण के लिए गौमन्दिर जैसा आदर्श सेवा प्रकल्प देश दुनिया में मिसाल

प्रदेश के दुसरे सप्त गौमन्दिर का मांगल्य मन्दिर में विधिविधान से शुभारम्भ

गौसेवकों का सम्मान

गौसेवा के अनूठे प्रकल्प की मुक्त कंठ से सराहना

नीलेश सोनी
रतलाम, 16जनवरी। मकर संक्रांति पर्व पर मांगल्य मन्दिर में सप्त गौमन्दिर का शुभारम्भ गौपूजन, गौपरिक्रमा, गौग्रास, महाभोग और महाआरती के साथ हुआ। यंहा संतजनों ने समाज से आव्हान किया कि गौहत्या रोकने के नारे सालों से लग रहे है लेकिन गौमाता को बचाना है तो उनकी समुचित सेवा के लिए हर गाँव और शहर में गौमन्दिर जैसे आदर्श सेवा प्रकल्प का प्रयोग सबसे बेहतर विकल्प है। ऐसे निस्वार्थ भाव से किये जा रहे सदप्रयासों को अपनाना ही गौमाता की सच्ची सेवा और पूजा है।   

इण्डस्ट्रियल एरिया क्षेत्र स्थित धर्मक्षेत्र मांगल्य मन्दिर प्रवेश द्वार पर मांगल्य मन्दिर एवं श्री कृष्ण कामधेनु गौशाला द्वारा संयुक्त रूप से जिले के प्रथम और प्रदेश के दुसरे सप्त गौमन्दिर के शुभारम्भ समारोह भक्तों ने गौमाता के दर्शन एवं गौग्रास अर्पण कर गौसेवा की। आकर्षण का केंद्र जिले की प्रथम स्वर्ण कपिला गाय रही। इंदौर आश्रम के बाद अब रतलाम में यह गौमन्दिर आरम्भ हुआ है।

गौसेवकों का सम्मान

एकादश विप्रबंधुओं द्वारा पूजन, भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति स्थापन व महर्षि संजय शिवशंकर दवे एवं आचार्य चेतन शर्मा के मार्गदर्शन में पंच कुंडीय यज्ञनुष्ठान में श्रद्धालु ने आहुतियाँ दी। यज्ञनुष्ठान की शुरुआत महापौर ने आहुति देकर की। गौसेवकों का स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मान किया गया। इंदौर गुरुकुल विधार्थियों ने धर्मक्षेत्र का भ्रमण किया।

गौसेवा के अनूठे प्रकल्प की मुक्त कंठ से सराहना

समारोह में दंडी स्वामी श्री आत्मानंद जी सरस्वती महाराज श्रृंगेरी मठ, स्वामी श्री देवस्वरूपानंद जी महाराज अखंड आश्रम रतलाम , महामंडलेश्वर स्वामी श्री जगदीश्वरानंद जी वृंदावन धाम,महापौर, सभापति मनीषा शर्मा, निगम आयुक्त ए.पी.एस गहरवाल, मुख्य डाकघर अधीक्षक राजेश कुमावत, राष्ट्रीय गौरक्षा विभाग भारत राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष (महिला विंग) शीतल सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष नीतिका गौरव ऐरन और जिलाध्यक्ष सविता रघुनंदन तिवारी, संत श्री आसारामजी गुरुकुल इंदौर की प्राचार्य सुश्री रश्मि चतुर्वेदी, गौसेवक दिनेश वाघेला, युवा नेता मयंक जाट, राजीव रावत, पत्रकार जितेन्द्र सिंह सोलंकी, समाज सेवी लोकेश परिहार, प्रवीण भाई,  वैभव जाट पहलवान, युवा नेता मयंक जाट, प्रदीप उपाध्याय, आदि विशिष्टजन अतिथि रहे। सभी ने एक स्वर में इस गौसेवा के अनूठे प्रकल्प की मुक्त कंठ से सराहना करते हुए गौपूजन, गौग्रास, व गौपरिक्रमा एवं यज्ञानुष्ठान में आहुति देकर कर पुण्य लाभ अर्जित किया। संतों को देख गौमाता ने रम्भाते हुए अपनी प्रसन्नता व्यक्त की।

किया अतिथियों का स्वागत

अतिथि स्वागत रामचंद्र चौधरी, बद्रीलाल प्रजापति, बद्रीलाल जाट, शंकरलाल पाटीदार, धर्मराज वाघेला, महेश पटेल, राजेन्द्र परमार, रविन्द्र परमार, पं.सुदामा मिश्रा, महावीर भाई, प्रेमप्रकाश बाथव, रुपेश सालवी, राहुल शर्मा, शिवकुमार श्रीवास्तव, प्रियंका गहलोत, भीमराज नागर, शिवेंद्र रावल आदि ने किया। संचालन रवीन्द्रसिंह जादौन ने किया।

सप्त गौमंदिर की परिकल्पना अद्भुत

भारतीय संस्कृति में गौ को माता एवं कामधेनु के रूप में पूजा जाता है। गौमाता में 33 करोड़ देवताओं का वास है। इनकी सेवा मात्र से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। गौशाला के माध्यम से गौसेवा तो कई जगह होती है लेकिन मांगल्य मन्दिर में सप्त गौमंदिर की यह परिकल्पना अद्भुत है। इससे देश दुनिया को गौसेवा के साथ गौपूजन का दिव्य सन्देश मिलेगा।

दंडी स्वामी श्री आत्मानंद जी सरस्वती महाराज

गौमंदिर जैसे सद्प्रयासों को आगे बढ़ाएं

मैंने कई सालों से देश दुनिया में भ्रमण कर सनातन संस्कृति का दिव्य ज्ञान बाँटने की सेवा कर रहा हूँ लेकिन आज पहली बार सप्त गौमंदिर देखने को मिला। यह एक मन्दिर अद्भुत अनुभूति और गौमाता पृथ्वी पर विरल विभूति है। लक्ष्मी स्वरूपा गौमाता की सेवा हर घर में होना चाहिए। गौहत्या रोकने और गौमाता की जय के नारे सालों से लग रहे है लेकिन आज आवश्यकता है इस बात की है कि हम गौसेवा के लिए गौमंदिर जैसे सद्प्रयासों को आगे बढ़ाएं।

महामंडलेश्वर स्वामी श्री जगदीश्वरानंद जी महाराज

गौशाला और गौमाता का मन्दिर दुर्लभ संयोग

पृथ्वी पर गौमाता जैसा कोई देव नहीं है। गौमाता के प्रत्येक अंग पर एक एक देवता विराजमान है। कोई मन्दिर और तीर्थ में नहीं जा सके तो कोई बात नहीं गौसेवा से यह सम्पूर्ण लाभ सहज ही मिल जाता है। मांगल्य मन्दिर में गौशाला के साथ अब गौमाता का मन्दिर भी स्थापित होना सनातन संस्कृति में गौसेवा के इतिहास में स्वर्णिम अध्याय बन गया है। यह हमारे लिए एक दुर्लभ संयोग है।

स्वामी श्री देवस्वरूपानंद जी महाराज

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