मुद्दे की बात : नो पार्किंग के नाम पर नगर निगम कर्मचारियों की दादागिरी, जनता में आक्रोश, व्यवस्था बिगाड़ने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं, वह खड़े रहते हैं सड़कों पर सीना ताने
⚫ ये कैसा सुधार – शहर के अधिकांश क्षेत्रों में पार्किंग लाइन के बाहर हजारों वाहन, फल, सब्जी ठेला गाड़ी, ऑटो रिक्शा, मैजिक सभी पार्किंग लाइन के रहते हैं बाहर, कार्रवाई केवल दो पहिया वाहन पर
⚫ विरोध करने पर नगर निगम कर्मचारी दे रहे प्रकरण दर्ज कराने की धमकी, बन रही विवाद की स्थिति
⚫ कई स्थानों पर रसूखदारों और जनप्रतिनिधियों के वाहन भी पार्किंग लाइन के बाहर, लेकिन कार्रवाई से परहेज
हरमुद्दा
रतलाम, 2 फरवरी। शहर में बगैर इंतजामों के नो पार्किंग के नाम पर चालानी कार्रवाई के लिए नगर निगम कर्मचारियों ने दादागिरी शुरू कर दी है। इससे लोगों में आक्रोश का ज्वालामुखी बढ़ता जा रहा है। शहर की सड़कों पर फल वाले सब्जी वाले, ऑटो रिक्शा, मैजिक सब पार्किंग लाइन के बाहर खड़े रहते हैं। उन पर ध्यान नहीं दिया जाता है। यातायात उनसे जाम होता है फिर भी वह हिलने का नाम नहीं लेते हैं। दो पहिया वाहन यदि कुछ थोड़ा सा बाहर रहा तो उनसे वसूली हो जाती है। शहर के आम लोगों का कहना है कि पार्किंग व्यवस्था करने में नकारा जिम्मेदार केवल वसूली पर आमादा है। सुविधा देने के नाम पर निठल्ले बने हुए हैं।
शुक्रवार को शहर भ्रमण के दौरान कई स्थानों पर रसूखदारों और जनप्रतिनिधियों के वाहन पार्किंग लाइन के बाहर खड़े मिलने के बाद नगर निगम का अमला चालानी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं दिखा पाया। केवल निर्धन और असहाय लोगों पर कार्रवाई करता दिखा। चांदनी चौक, माणक चौक, चौमुखी पुल, शहर सराय, धानमंडी, तोपखाना आदि विभिन्न क्षेत्रों में सड़कों पर फल वाले, सब्जी वाले, ऑटो रिक्शा, मैजिक, पानी की कान वाले सब पार्किंग लाइन के बाहर खड़े रहते हैं। फल सब्जी वाले तो मुश्किल से 10 मीटर भी नहीं हिलते हैं, उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती जिनके कारण यातायात जाम होता है। लोडिंग अनलोडिंग का कार्य होता रहता है। लोग परेशान होते हैं। बाजारों में 15 से 18 फीट लंबी गाड़ियां सड़कों पर खड़ी रहती है। यातायात उनसे जाम होता है। उन पर ध्यान नहीं दिया जाता है। उनको पार्किंग लाइन दिखाने की हिम्मत जिम्मेदारों में नहीं है। पार्किंग लाइन के बाहर खड़े रहते हैं।
बिना वजह हुज्जत करते हैं कर्मचारी, प्रशासनिक अधिकारी भी मौन
नगर निगम द्वारा सड़कों की पार्किंग लाइन के बाहर खड़े किए जा रहे वाहनों के खिलाफ बुधवार से शुरू की गई चालानी कार्रवाई का हर जगह तगड़ा विरोध शुरू हो गया है। इसके बावजूद नगर निगम कर्मचारियों द्वारा दादागिरी दिखाते हुए लोगों से हुज्जत करते हुए परेशान किया जा रहा है। लगता है इनका उद्देश्य जातक व्यवस्थित करना नहीं है। आमजन से वसूली करना ही रह गया है। दुकानदारों को तो नियम कायदे सीखने की इनमें कुबत नहीं है। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी इस पर चुप्पी साधते हुए नगर
पार्किंग व्यवस्था में नकारा जिम्मेदार
निगम कर्मचारियों की मनमानी को बढ़ावा दे रहे हैं। शहर के जिम्मेदार महापौर और नगर निगम आयुक्त सहित अन्य लोग पार्किंग व्यवस्था करने में नाकारा सिद्ध हो रहे हैं और क्यों हो रही है। यदि कार्रवाई ही करना है तो बिना किसी भेदभाव के होनी चाहिए और अव्वल बात तो यह की पार्किंग की व्यवस्था करनी चाहिए। दुकानदारों पर नकेल कसने में हिम्मत और हौसला दिखाना चाहिए। चार दिन की चांदनी और वही अंधेरी रात नहीं होना चाहिए।
केवल वसूली से ही नहीं होगा सुधार
केवल वसूली करने से ही व्यवस्था में सुधार नहीं होता है। पहले सुविधा दी जाए यदि दो पहिया वाहन वाले या चार पहिया वाहन वाले नहीं मानते हैं तो कार्रवाई की जानी चाहिए। जिम्मेदारों से तो कुछ होता जाता है नहीं बिना वजह आम जन को परेशान किया जाता है।
हो रही हाथापाई की स्थिति निर्मित
कार्रवाई का विरोध करने वालों को नगर निगम कर्मचारी द्वारा धमकाते हुए शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने का प्रकरण दर्ज कराने की बात कही जा रही है। इससे जगह-जगह बखेड़ा खड़ा हो रहा है और हाथापाई की स्थिति भी निर्मित हो रही है।
शहर में कहीं भी पार्किंग नहीं, फिर कार्रवाई क्यों
शहर के अधिकांश बाजारों के साथ अन्य स्थानों पर कहीं भी वाहन पार्किंग की सुविधा नहीं है। संकरी गलियों के रूप में तब्दील शहर के बाजारों में नगर निगम द्वारा केवल पार्किंग लाइन डालकर चालानी कार्रवाई शुरू की गई है, जो किसी भी दृष्टिकोण से तर्क संगत नहीं है। नागरिकों का कहना है लोगों को परेशान करने वाली कार्रवाई शहर में बड़े विवाद का कारण बन सकती है। इस पर शीघ्र जिम्मेदारों को हस्तक्षेप करने की जरूरत है।
कलेक्टर के आदेश भी हुए हवा हवाई
कलेक्टर ने भी एक महीने पहले बाजार में घूम कर फल और सब्जी बेचने वालों को अन्य तय स्थानों पर भेजने की बात कही थी, लेकिन वह आदेश भी हवा हवाई हो गए। क्योंकि कार्रवाई करने वाले को गांधी दर्शन करवा दिया जाता है। उनके आदेश पर भी अमल नहीं हो पाया है। आमजन परेशान है और यातायात को खराब करने वाले अपनी कमाई कर रहे हैं। लोगों का यही कहना है कि कलेक्टर हो। नेता हो कोई भी हो। नौटंकी के अलावा कोई और कुछ नहीं करते हैं। खबर छपती है, मगर व्यवस्था में कोई सुधार नहीं होता है।