साहित्य सरोकार : रचनाशील समाज कर रहा है शहर का निर्माण

‘सुने सुनाएं ‘ में पढ़ी गई सार्थक रचनाएं

हरमुद्दा
रतलाम, 4 फरवरी। शहर में रचनात्मक गतिविधियों के ज़रिए ख़ामोशी से अपना काम करते हुए ‘सुनें सुनाएं ‘ रचनात्मक वातावरण तैयार कर रहा है । इससे पढ़ने -लिखने वालों को अपनी अभिव्यक्ति का एक माध्यम भी प्राप्त हो रहा है , वहीं नई पीढ़ी भी रचना प्रक्रिया से आकर्षित हो रही है।


यह विचार ‘सुनें सुनाएं ‘ के 17 वें सोपान में आयोजित रचना पाठ अवसर पर उपस्थितजनों ने व्यक्त किए। जीडी अंकलेसरिया रोटरी हॉल पर आयोजित सत्रहवें सोपान में आठ रचना प्रेमियों ने अपनी प्रिय रचना का पाठ किया। इसमें अशोक कुमार शर्मा द्वारा अज्ञात रचनाकार की ग़ज़ल ‘कौन समझाए उन्हें, इतनी जलन ठीक नही’ का पाठ, नरेन्द्र त्रिवेदी द्वारा प्रदीप चौबे की रचना ‘ रेलयात्रा ‘ का पाठ, अनीता दासानी द्वारा राहत इंदौरी की रचना ‘उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो’ का पाठ, विनोद झालानी द्वारा गोपाल दास “नीरज”की रचना “चांदनी में घोला जाए” का पाठ, संजय शर्मा द्वारा डॉ. हरिवंश बच्चन की रचना ‘अग्निपथ’ का पाठ, डॉ. पूर्णिमा शर्मा द्वारा ‘हे! सच्चिदानंद प्रभो तुम नित्य सर्व सशक्त हो ‘ का पाठ, श्याम सुंदर भाटी द्वारा भावसार बा की ‘मालवी रचना’ का पाठ, कीर्ति शर्मा द्वारा शंकर शैलेन्द्र की रचना ‘तू ज़िंदा है ,तो ज़िंदगी की जीत में यक़ीन कर’ का पाठ किया गया।

इनकी उपस्थिति रही

आयोजन में विनोद झालानी, आई.एल. पुरोहित, नरेंद्र सिंह डोडिया, मयूर व्यास, अशोक कुमार शर्मा, अनीता दासानी,  डॉ. पूर्णिमा शर्मा, सुशीला कोठारी, जितेंद्र सिंह पथिक, श्याम सुंदर भाटी, नरेंद्र त्रिवेदी, कीर्ति कुमार शर्मा, ललित चौरडिया, राधेश्याम शर्मा, रचित परसाई, जयवंत गुप्ते, ओम प्रकाश मिश्र, संजय बालकृष्ण शर्मा, डॉ. जी. पी. डबकरा, हेमंत मेहता, रक्षा मिश्रा, कमलेश बैरागी, भावेश ताटके, आशा श्रीवास्तव एवं सुधिजन उपस्थित थे।

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