कला सरोकार : दो ऋतुओं का मिलन गवाह बना इंद्राणी के सुर अर्पण का
⚫ मालवा ऑक्सीजन एंड इ. गैसेस प्राइवेट लिमिटेड रतलाम का हुआ अभिनव आयोजन
⚫ अनोखे वाद्ययंत्र ‘ श्री खोल’ से सभी को परिचित कराया पंडित गोपाल बर्मन में
⚫ आशीष दशोत्तर
रतलाम, 9 मार्च। जब दो ऋतुएं एक-दूसरे से मिल रही थीं। एक-दूसरे के कानों में कुछ कह रही थी वहीं फिज़ा में सुरों का सुरूर घुल रहा था। शीत की बयार धीरे-धीरे अपनी तेज़ी को मद्धम कर रही थी, और ग्रीष्म के गाल पर तपन की सुर्खियां उभरना शुरू हो गई थीं। इन दो ऋतुओं का मिलन सुरों के मिलन का गवाह भी बना ।
अवसर था ‘सुर अर्पण’ कार्यक्रम का । मालवा ऑक्सीजन एंड इ. गैसेस प्राइवेट लिमिटेड रतलाम का यह अभिनव आयोजन , जो प्रतिवर्ष शिवरात्रि की संध्या पर होता है। इस बार शहर को संगीत की यादगार सौगात दे गया। चालीसवें सुर अर्पण कार्यक्रम को देश की विख्यात गायिका इंद्राणी मुखर्जी ने अपने सुरों से महका दिया। उनके साथ संगीत की मशहूर हस्तियां मौजूद थीं। अंतरराष्ट्रीय कलाकार पंडित गोपाल बर्मन, अपूर्वा मुखर्जी, डॉ. विनय मिश्रा, पंडित रमेश कुमार मिश्रा और अंजिष्णु मुखर्जी ने अपनी फनकारी से सुरीली शाम को महकाती रात में तब्दील कर दिया।
शहर की संगीत में आभा को बढ़ाने का आयोजन
शिव को समर्पित इस आयोजन को मालवा ऑक्सीजन परिवार ने प्रमोद व्यास की प्रेरणा से निरंतर बनाया हुआ है, जिसे संजय व्यास और संदीप व्यास गति प्रदान कर रहे हैं। शहर की संगीतमयी आभा को और बढ़ाने में यह आयोजन प्रमुख भूमिका निभाता रहा है, जिसकी झलक शिवरात्रि की संध्या को भी देखने को मिली।
अनोखे वाद्ययंत्र ‘ श्री खोल’ से सभी को परिचित कराया पंडित गोपाल बर्मन में
अपने गुरु की कंपोजिशन राग यमन पर आधारित ‘चंद्रमा ललाट पर सोहे भुजंगधर ‘ से इंद्राणी ने अपने सुरीले सफर की शुरुआत की। इसके बाद ‘ठुमक ठुमक गोपियन संग चलत ‘ ‘ रमैया यो जीवड़ो दुःख पावे’ से होता हुआ सुरीला कारवां आगे बढ़ता रहा। इस दौरान पंडित गोपाल बर्मन ने अनोखे वाद्ययंत्र ‘ श्री खोल’ से सभी को परिचित करवाया। चैतन्य महाप्रभु द्वारा इस वाद्ययंत्र को बजाया जाता था। श्री बर्मन ने इस पर अपनी प्रस्तुति से सभी को चमत्कृत कर दिया। भरत पंडित ने शब्दों से शिव प्रसंग सुनाते हुए संचालन के सूत्र थामे रखे। इस दौरान शहर के संगीत रसिकों की मौजूदगी ने कलाकारों की कला को मुक्त कंठ से सराहा।