सामाजिक सरोकार : भारत में बेटी जन्म को स्वीकार करने के लिए मानसिकता में परिवर्तन की आवश्यकता
⚫ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अन्तर्गत हुई पीसी-पीएनडीटी कार्यशाला
⚫ जागरूकता रथ को दिखाई हरी झंडी
हरमुद्दा
रतलाम 13 मार्च। भारत में बेटी जन्म को स्वीकार करने के लिए मानसिकता में परिवर्तन की आवश्यकता है। महिला अधिकांश रूप से परिवार में पति या अन्य सदस्यों के दबाव में प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण के लिए मजबूर होती है। कई बार तो पति द्वारा यह तक धमकाया जाता है कि यदि पुत्र को जन्म नहीं दिया तो पति विवाह विच्छेद कर देगा। ऐसे में आधार नंबर से महिला हितग्राही को ट्रेस किया जा सकता है, जिससे एक ओर महिला को सुरक्षा मिलेगी तो वही दूसरी ओर भ्रुण हत्या को रोका जा सकेगा और समाज बेटी जन्म को स्वीकार करने के लिए बाध्य होगा।
यह बात महिला रोग विशेषज्ञों द्वारा बताई गई। महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी रजनीश सिंहा ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा हब एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अन्तर्गत पीसीपीएनडीटी कार्यशाला सह जिला टास्क फोर्स का आयोजन मंगलवार को जिला पंचायत सभागृह में किया गया। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ एवं महिला सुरक्षा एवं संरक्षा पर बने जागरूकता रथ को सीईओ जिला पंचायत अमन वैष्णव द्वारा हरी झण्डी दिखाकर योजना के प्रचार-प्रसार हेतु रवाना किया गया।
पीपीटी पर किए विचार व्यक्त
बीबीबीपी एवं हब की नोडल अधिकारी सुश्री अंकिता पण्ड्या द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दौरान भारत शासन द्वारा “महिला अधिकार” हेतु जारी पीपीटी को उपस्थित अधिकारियों, डॉक्टर्स को उद्बोधन द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर डॉ. अदिति राठौर, डॉ. सुनीता वाधवानी, डॉ. शिखा अग्रवाल, मीडिया आफिसर श्रीमती सरला वर्मा, डॉ. आशा सराफ, डॉ. मनीषा माहेश्वरी, एओ भास्कर खिंची, वनस्टॉप प्रशासक शंकुतला मिश्रा इत्यादि उपस्थित रहे। श्रीमती मिश्रा ने वनस्टॉप की पूर्ण जानकारी से अवगत कराया।
यह थे मौजूद
कार्यक्रम के दौरान जिले के डॉक्टर्स, सोनोग्राफी सेण्टर के प्रबंधक, जिला टास्क फोर्स समिति सदस्य, महिला बाल विकास के परियोजना अधिकारी, सुपरवाईजर्स, ंवनस्टॉप प्रशासक, वन स्टॉप सेन्टर का स्टॉफ एवं बीबीबीपी सेक्शन लिपिक और हब कार्यालय की नोमिनेट लेखापाल श्रीमती यशोदाकुंवर राजावत उपस्थित रही। पीपीटी का प्ले श्री सुमित अम्बेकर द्वारा किया गया। संचालन जिला कार्यक्रम अधिकारी रजनीश सिन्हा ने किया। सहायक संचालक सुश्री अंकिता पण्ड्या ने आभार माना।