धर्म संस्कृति : रतलाम पधारे आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. ने बताया “भगवान कैसे बने”
⚫ तेजा नगर से निकला सामैया
⚫ हनुमान रुंडी में तीन दिवसीय प्रवचन उत्सव
हरमुद्दा
रतलाम,14 मार्च। आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. अपने श्रमण-श्रमणीवृंद के साथ गुरूवार को फिर से रतलाम पधारे। इस अवसर पर प्रातः 8.30 बजे तेजा नगर स्थित समीरभाई तलेरा परिवार के गृह आंगन से उनका भव्य सामैया निकला, जो शहर के प्रमुख मार्गों से होकर हनुमान रूंडी पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हुआ। आचार्य श्री की निश्रा में यहां तीन दिनों का प्रवचन उत्सव आरम्भ हुआ। लाभार्थी मोहनबाई सौभागमलजी तलेरा परिवार रहा।
आचार्यश्री ने “हम कैसे बने भगवान” विषय पर आयोजित प्रवचन के दौरान पहले दिन प्रवचन देते हुए चार अक्षर से बने “भगवान” शब्द के “भ” को परिभाषित किया। इस दौरान उनके द्वारा परपस ऑफ लाइन यानी हम किस लिए जी रहे है, यह प्रश्न करते हुए कहा कि हमे यह तय करना है कि हम भगवान बन सके या फिर हमे भगवान का बनना है। हम मंदिर जाते है लेकिन यदि मंदिर से बाहर आने के बाद आपके हृदय में परिवर्तन न आए तो आपका मंदिर जाना व्यर्थ है।
आचार्यश्री ने भगवान शब्द के “भ” को परिभाषित करते हुए कहा कि जो दूसरों का भला कर सकता है, वहीं भगवान बन सकता हैं। हमने अपने लिए तो बहुत कुछ किया है, हमे दूसरों के लिए भी कुछ न कुछ करते रहना चाहिए। आचार्य श्री ने कहा कि पात्रता का थर्मामीटर यह नहीं है कि हमारे हाथ के नीचे कितने लोग काम कर रहे है, हमे यह नहीं बल्कि यह देखना चाहिए कि हम कितने लोगों के काम आ रहे है।
आचार्यश्री ने प्रवचन के अंत में रतलाम से सेमलियाजी तीर्थ का दो दिवसीय पदयात्रा संघ का आमंत्रण भी दिया। पदयात्रा संघ 17 एवं 18 मार्च को निकलेगा । लाभार्थी परिवार ने भी सकल श्रीसंघ को धर्मलाभ लेने का आह्वान किया है।