वेब पोर्टल हरमुद्दा डॉट कॉम में समाचार भेजने के लिए हमें harmudda@gmail.com पर ईमेल करे धर्म संस्कृति : आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में निकला सेमलिया जी तीर्थ का दो दिवसीय पदयात्रा संघ -

धर्म संस्कृति : आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में निकला सेमलिया जी तीर्थ का दो दिवसीय पदयात्रा संघ

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हमेशा प्रभु के प्रति रखें समर्पण भाव

पलसोड़ा में शाम को हुए प्रवचन

यात्रा सोमवार सुबह पहुंचेगी सेमलिया जी तीर्थ

हरमुद्दा
रतलाम, 17 मार्च। आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में रविवार सुबह मोहनबाई सौभागमलजी तलेरा परिवार के गृह आंगन से सेमलिया जी तीर्थ का दो दिवसीय पदयात्रा संघ निकला। यात्रा के दौरान गाजे बाजे के साथ तीर्थ यात्री आचार्य श्री की निश्रा में रवाना हुए। यात्रा रतलाम से पलसोड़ा पहुंची और वहां पर शाम को प्रवचन हुए। सोमवार सुबह पदयात्रा संघ पलसोड़ा से रवाना होकर सेमलिया तीर्थ पहुंचेगा।

जहां संबंध अधिक वहां, स्नेह अधिक

आचार्य श्री की निश्रा में ग्राम पलसोड़ा में प्रवचन हुए। इसमें आचार्य श्री ने प्रभु से हमें किस तरह के संबंध बनाना है, उसका वर्णन करते हुए बताया कि हमें प्रभु से संबंध बनाना है, प्रभु को स्नेह करना है और प्रभु के प्रति समर्पण का भाव रखना। क्योंकि जहाँ संबंध अधिक बनता है तो वहां स्नेह भी बन जाता है, जो धीरे-धीरे समर्पण बन जाता है। प्रभु का हमारे सामने होना और हमारे साथ होना दोनों अलग बात है। खुली आंखों से देखने पर वह हमें सामने दिखते हैं, जब पलकें बंद हो जाती है तो साथ नजर आते हैं। हमें प्रभु को अपने साथ रखना है। प्रभु के प्रति हमेशा हमारा समर्पण का भाव होना चाहिए।

प्रभु के सान्निध्य से हो जाता है मोक्ष

पलसोड़ा में आचार्य श्री के साथ शिष्य मुनिराज ज्ञानबोधि विजयजी म.सा. द्वारा भी प्रवचन दिए गए। मुनिराज द्वारा भक्ति पर प्रकाश डालते हुए उसके तीन प्रकारों का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि इंसान जीवन में सुख, शांति, समाधि के लिए भटकता रहता है लेकिन एकमात्र प्रभु भक्ति ही हमें मोक्ष में ले जा सकती है। मोक्ष चाहिए तो भक्ति की उंगली पकड़ लो, प्रभु के सानिध्य में जाने से मोक्ष अपने आप हो जाता है।

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