क्या अभिव्यक्ति की आजादी कह कर छोड़ देंगे ?, नहीं, जरूरी है लगाम
▪ त्रिभुवनेश भारद्वाज
तब मन ठगा सा रह जाता है, जब टीवी खोलते ही लगता है देश और दुनिया में कुछ भी ठीक नहीं है। हर तरफ खून, बलात्कार, लूट, चोरी, डकैती, हमले, बलवे, जघन्य हत्याएं इत्यादि। मन बैठ जाता हैं यह सोचकर कि समय बड़ा ख़राब चल रहा हैं। आदमी जाहिल, पशुता की अंतिम वंशावली लिख रहा है। रात 9 बजे बाद कोई हिंदी या अंग्रेजी चेनल बस परोसता हैं अपराध,भय और अवसाद।नकरात्मक खबरों का इतना बड़ा जखीरा मन को आहत नहीं घायल करता रहता हैं और मन में एक घातक भय बैठ जाता हैं।
एक मिनिट में 50 खबर।
अब शुरू हुआ हमला। आप सोचते हैं एक मिनिट रुकने में क्या जाएगा? खबरें शुरू होती। खुली अश्लीलता, हत्या और बलात्कार की और मन पर घाव शुरू होते हैं। नकारात्मक खबरों का बाज़ार किसने गर्म किया हैं। अपराधी तो सृष्टि के आरम्भ से ही हैं लेकिन रावण की जघन्यता से अधिक राम की उदारता का बखान मानवता को आश्वस्त करता रहा कि दुनिया में रावण इतने नहीं जितने राम या राम के पदचिह्नों पर चलने वाले हैं।
मर्यादाएं भूल गया है तो उसे सबक सिखाना जरूरी
मीडिया का भी राष्ट्र धर्म होता हैं और अगर देश का कुछ मीडिया मर्यादाएं भूल गया है तो उसे सबक सिखाना होगा। कितनी बर्बरता, अश्लीलता परोसी जा रही हैं।सरकार को जघन्य टीवी चेनलों का भी इलाज करना चाहिए। क्या ये मानव सेवा हैं ? एक हत्या का लाइव वीडियो दिखाने वाले चेनल को तत्काल रोकना चाहिए । अपनी खबरों में अराष्ट्रीय, बकवास, नकारात्मक, केवल अस्वस्थ आलोचना दिखाने वाले चेनलों को तत्काल बंद करना चाहिए। बीच समाचार में अश्लील विज्ञापन “होलीवुड” स्टाइल में दिखने वाले चेनलों पर अभिव्यक्ति की मर्यादा से खिलवाड़ करने के अपराध में बड़ी पेनल्टी लगाना चाहिए …..अराजकता बढाने वाले चेनलों को बंद करना चाहिए …….. बुरे को रोकना तो सरकार का काम हैं ।करोड़ों में इक्का दुक्का घटनाएं हजारों अच्छी मिसालों को कैसे निगल सकती हैं।
मानवता का अब भी हो रहा शिखर वंदन
समा इतना भी ख़राब नहीं हुआ है कि कोहराम मचा दिया जाए। मानवता का अब भी शिखर वंदन हो रहा हैं। अब भी इंसानियत को ताज पहनाया जा रहा हैं। आज भी मारने वालों से बचाने वालों की संख्या ज्यादा हैं।
बेडोल नकारात्मकता को कौन रोकेगा ?
क्या अभिव्यक्ति की स्वाधीनता पर कुछ भी दिखाया सुनाया जाएगा ? सरकार आपातकाल की पुनरावृत्ति से डरती है लेकिन बेडोल नकारात्मकता को कौन रोकेगा ? सरकार को कुछ करना चाहिए …… घर-घर में 300 रुपए लेकर 500 चेनल राक्षस भेज दिए हैं, जो जन, मन को काट और बांट रहे हैं।
वे कर रहे अपना काम गम्भीरता से
कुछ चेनल है, जो अपना काम बहुत ही गंभीरता से कर रहे हैं, उनका स्वागत हैं, मगर कचरा चेनल तो बंद होना चाहिए। मैं सॉफ्ट समाचार पसंद करता हूँ, जिसमे टीवी चेनल अपनी भूमिका एक अच्छे सूचना प्रदाता की निभाए।
और हम रह जाएं भौचक्के
उसे कोई हक़ नहीं कि बिना अलर्ट किए कोई भी वल्गर विज्ञापन रख दे और हम भौचक्के रह जाएं। ऐसा कानून बनना चाहिए कि अश्लील किस्म का विज्ञापन दिखाना बहुत ही जरूरी हैं तो पहले “कोशंन” करें कि अब अमुक विज्ञापन आने वाला हैं जो आपको असहज कर सकता हैं आप चाहे तो टीवी बंद कर सकते हैं।
सबको कर जाता है शर्मिंदा
धार्मिक और पारिवारिक सीरियल के बीच वाहियात कामसूत्र कंडोम का पोर्न फिल्मों की तर्ज पर फिल्माया विज्ञापन सबको शर्मिंदा कर जाता है। क्या ये अभिव्यक्ति की आजादी कह कर छोड़ देंगे ?