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काजू की खेती की संभावनाएं मध्यप्रदेश में: मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ काजू के लिए भी प्रसिद्व होगा छिंदवाड़ा

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हरमुद्दा
भोपाल, 23 जुलाई। मध्यप्रदेश में काजू की खेती की सभावनाएं है। प्रदेश के छिन्दवाड़ा, बैतूल, बालाघाट और सिवनी जिलों के आदिवासी बहुल क्षेत्रों के ग्रामों में जानकार काजू की खेती के लिए अनुकूलता तलाशी हैं। अच्छी खबर यह है कि काजू की खेती के लिए छिंदवाड़ा की जलवायु अनुकूल है। सबकुछ ठीक रहा तो छिंदवाड़ा मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ काजू के लिए भी प्रसिद्व होगा।
भारत सरकार के निदेशक काजू एवं कोको विकास निदेशालय, कोच्ची के डॉ. वेंकटेश एन. हुबल्ली ने मध्यप्रदेश का दौराकर ग्रामीणों से चर्चा की।

प्रदेश के चार जिलों का चयन

उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा काजू की खेती के लिए मध्यप्रदेश के 4 जिलों छिन्दवाड़ा, बैतूल, सिवनी और बालाघाट का चयन किया गया है।

बालाघाट में बंजर पहाड़ी जमीन पर काजू की खेती संभावनाएं

बालाघाट जिले के ग्राम देवरीमेटा में डॉ. हुब्बली ने मनरेगा की शैलपर्ण योजना में रोपित काजू के पौधों को देखकर कहा कि बंजर पहाड़ी जमीन पर काजू की खेती की बहुत संभावनाएं हैं।

तो वे रह गए चकित

डॉ. वेंकटेश एन. हुबल्ली ने बालाघाट जिले में पाथरी पुलिस चौकी के सामने लगे 25 वर्ष पुराने काजू के वृक्षों और गोवारी पंचायत के ग्राम देवरीमेटा में मनरेगा में 42 एकड़ क्षेत्र में दो वर्ष पहले लगाए गए काजू के पौधों को देखा। जब उन्हें बताया गया कि देवरीमेटा में काजू के पौधों ने दो वर्ष में ही फल देना शुरू कर दिया है, तो वे चकित रह गए। उन्होंने ग्रामीणों को बताया कि अच्छी देखभाल से काजू का अधिक उत्पादन मिलेगा।

छिन्दवाड़ा में मिली असीम संभावनाएं

भ्रमण के पहले डॉ. वेंकटेश ने छिन्दवाड़ा जिले में काजू उत्पादन की दृष्टि से तामिया और जुन्नारदेव विकासखण्ड के ग्रामीण अंचल का दौरा किया। डॉ. वेंकटेश ने यहां की जलवायु को काजू की पैदावार के लिए अनुकूल माना और कार्य-योजना बनाने की जरूरत बताई है।

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