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साहित्य सरोकार : शब्दों की तपिश ही ज़िन्दा रखती है तहरीर को

वरिष्ठ कवि नवीन पंछी ने कहा

जलेसं के आयोजन में आशीष दशोत्तर के ग़ज़ल संग्रह का हुआ विमोचन

हरमुद्दा
रतलाम, 21 अप्रैल। शब्दों की तपिश ही किसी भी तहरीर को कायम रखती है। शब्द ही अपने अर्थो द्वारा आने वाले समय में किसी रचना को महत्वपूर्ण बनाए रखते हैं। यह एक रचनाकार की अनिवार्यता है कि वह समय पर अपनी नज़र रखे और उन विषयों को अपनी रचनाओं में शामिल करें जिनसे आम आदमी का दुःख दर्द जुड़ा है। ऐसी रचनाएं हीं सदैव याद की जाती हैं ।

यह विचार जोधपुर राजस्थान से आए वरिष्ठ कवि नवीन ‘पंछी’ ने जनवादी लेखक संघ द्वारा आयोजित गोष्ठी में व्यक्त किए । उन्होंने कहा कि रचनाकारों का एक साथ मिलना और वर्तमान परिपेक्ष्य में सार्थक विचार विमर्श करना बहुत ज़रूरी है । इस अवसर पर उन्होंने अपनी कविताओं का पाठ करते हुए कहा ‘ इन्सान होने की ललक ही ,ख़त्म हो गई भेड़ों की/समझ आ गया कि उन जैसा है वह भी/ बदन पर ऊन होना जरूरी नहीं।

प्रत्येक रचनाकार को ऊर्जा प्रदान करती है रतलाम की तासीर

कार्यक्रम के विशेष अतिथि भोपाल से आए रचनाकार संजय सिंह राठौर ने कहा कि रतलाम की तासीर ही प्रत्येक रचनाकार को ऊर्जा प्रदान करती है । उन्होंने अपने रतलाम में बिताए दिनों का ज़िक्र करते हुए वर्तमान संदर्भ में हो रहे साहित्यिक आयोजन को महत्वपूर्ण बताया। श्री राठौर ने ‘बोनसाई’ सहित अपनी कई कविताओं का पाठ किया।
इंदौर से रंगकर्मी राजेंद्र व्यास ने कहा कि प्रत्येक रचनाकार के भीतर एक कवि जीवित होता है । वह सदैव बाहर आने की कोशिश करता है । कुछ लोग होते हैं जो उसे पूरी स्वच्छंदता के साथ बाहर आने देते हैं । यही रचनाएं पूरे समाज का मार्गदर्शन करती है।

हमारे लिए समय महत्वपूर्ण

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि एवं अनुवादक प्रो. रतन चौहान ने कहा कि यह समय हमारे लिए महत्वपूर्ण है। आज देश सुप्रसिद्ध अनुवादक एवं समीक्षक प्रो. चंद्रबली सिंह जी की जन्मशती मना रहा है। उन्होंने इस अवसर पर चंद्रबली सिंह की कुछ अनुवादित रचनाओं का पाठ भी किया।

इन्होंने भी किया काव्य पाठ

इस अवसर पर कवि जितेंद्र सिंह ‘पथिक’ ने तिनका , अच्छे दिनों की आस, आदमी के भीतर का आदमी एवं अन्य कविताओं का पाठ किया। युसूफ जावेदी ने अपनी रचनाओं का पाठ करते हुए वर्तमान संदर्भों का ज़िक्र किया । पद्माकर पागे, सिद्दीक़ रतलामी, आशीष दशोत्तर ने अपनी कविता तथा रणजीत सिंह राठौर ने पथिक की कविताओं पर अपना आलेख प्रस्तुत किया।

‘सोहबतें’ अपनी बनी रहें

इस अवसर पर युवा रचनाकार आशीष दशोत्तर के तीसरे ग़ज़ल संग्रह ‘ सोहबतें ‘ का अतिथियों ने विमोचन किया। इंक पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित इस संग्रह में दशोत्तर की सौ ग़ज़लें शामिल हैं।

इनकी उपस्थिति रही

कार्यक्रम में हीरालाल खराड़ी, मांगीलाल नगावत, गीता राठौर, चरणसिंह यादव, कीर्ति शर्मा सहित साहित्य प्रेमी मौजूद थे।

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