धर्म संस्कृति : सारे पत्ते गिर जाने के बाद भी कभी कोई वृक्ष आत्महत्या नहीं करता
⚫ आचार्य श्री बंधु बेलड़ी शिष्यरत्न गणि श्री पदम-आनंदचन्द्रसागर जी म.सा ने कहा
⚫ चार दिवसीय प्रवचनमाला ‘चार चाबी खुशियों की’ विषय पर श्री करमचंद उपाश्रय में हुई दूसरे दिन व्याख्यान
⚫ संयम के जीवन में संयम का सूर्योदय
⚫ रविवार 9 जून से आरम्भ होगा मुमुक्षु संयम का पराक्रम उत्सव
हरमुद्दा
रतलाम, 6 जून। जीवन में उल्लास कभी कम नहीं होना चाहिए । उदासी को कभी स्वयं पर हावी नहीं होने देवे । जीवन है तो उतार चढ़ाव तो आयेंगे ही मगर हिम्मत नहीं हारना चाहिए । आंखें है तो आंसू तो आएंगे लेकिन उन्हें मोती में रूपांतरित करने की कला होनी चाहिए । जीवन में उल्लास के साथ ज्ञान रूपी उजास भी होना चाहिए । छोटी छोटी बातों में चिंता-अवसाद में पड़ जाने वालों को इतना याद रखना चाहिए कि… सारे पत्ते गिर जाने के बाद भी कभी कोई वृक्ष आत्महत्या नहीं करता फिर आप तो प्रभु की संतान है । यह प्रेरक ज्ञान जीवन में ख़ुश रहने की ताले की ‘मास्टर की’ है ।
यह स्फूर्तिदायक विचार आचार्य श्री बंधु बेलड़ी शिष्यरत्न गणि श्री पदम-आनंदचन्द्रसागर जी म.सा ने व्यक्त किए । वे मुमुक्षु संयम पालरेचा की 12 जून को रतलाम में आयोजित दीक्षा महोत्सव के प्रसंग पर आयोजित चार दिवसीय प्रवचनमाला ‘चार चाबी खुशियों की’ विषय पर श्री करमचंद उपाश्रय में दूसरे दिन व्याख्यान दे रहे थे । इसी के साथ पूज्य गणिश्री की प्रेरणा से तीन दिन सामायिक महोत्सव की भी शुरुआत की गई ।
खुशहाल जीवन की ‘मास्टर की’
आपने कहा कि जीवन में स्थायी ख़ुशी की तलाश है तो दुर्जनों के संपर्क का त्याग करें। साधु समागम करना चाहिए। नित्य संसार की अनित्यता का स्मरण और पुण्य दिन-रात करना चाहिए । इन चार चाबी से आपका जीवन खुशहाल हो जाएगा। यही खुशहाल जीवन की ‘मास्टर की’ है। जीवन को इतना तनाव और चिंताग्रस्त मत बनाइए कि आप सुकून से जी भी नहीं पाएं।
संयम के जीवन में संयम का सूर्योदय
पूज्य गणिश्री ने कहा कि आज के इस दौर में युवा अवस्था में विवेक पर वैराग्य जाग्रत होना परमात्मा की बहुत बड़ी कृपा है। रतलाम के मुमुक्षु संयम भाई मात्र 20 वर्ष की आयु में संयम जीवन अंगीकार करने जा रहे है। उन्हें तप आराधना के संस्कार विरासत में मिले है। परिवार में मासी की दीक्षा होने की वजह से घर में संयम जीवन के प्रति अहोभाव जागा और इसी से संयम के जीवन में संयम का सूर्योदय होने जा रहा है । उन्होंने में जीवन परम आनंद की प्राप्ति के लिए संयम साधना की चाबी मिलने जा रही है।
9 जून से पराक्रम उत्सव
प्रवचनमाला में पू .साध्वी श्री अर्चितगुणाश्रीजी म.सा, श्री रतनरिद्धिश्रीजी म.सा.एवं साध्वी श्री रतनवृद्धिश्रीजी म.सा.आदि विशाल श्रमण श्रमणी वृन्द ने निश्रा प्रदान की। आयोजक नगीनकुमार प्रवीणकुमार पालरेचा परिवार ने बताया कि श्री करमचंद उपाश्रय पर शनिवार 8 जून को चार दिवसीय प्रवचनमाला का अंतिम दिन रहेगा। रविवार 9 जून से दीक्षा महोत्सव आचार्य देव श्री जिनचन्द्रसागर सूरि विरति वाटिका आगमोदधारक नगरी दीनदयाल नगर में आरम्भ होगा ल। जहां चार दिवसीय पराक्रम उत्सव के अंतिम सौपन पर 12 जून को दीक्षा होगी ।