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मजदूरों की हुंकार : दवा कंपनी इप्का प्रबंधन में भगाया, मजदूरों ने कलेक्ट्रेट में डेरा जमाया

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महीने में नहीं मिलती एक भी छुट्टी

आठ की बजाय 12 घंटे करवाते हैं काम

तय मजदूरी से कम देते हैं दाम

हरमुद्दा
रतलाम 10 जून। प्रसिद्ध दवा कंपनी इप्का लैबोरेट्रीज में अस्थाई रूप से कार्य करने वाले मजदूरों ने सोमवार को हक के लिए हुंकार भर दी। प्रबंधन को यह बात नागवार गुजरी और पुलिस बल बुलाया। श्रमिकों को वहां से भगा दिया। आखिरकार श्रमिकों ने कलेक्ट्रेट में अपना डेरा जमाया और जिला प्रशासन को अपनी बात बताई।

सेजावता स्थित इप्का लैबोरेट्रीज कंपनी के बाहर तैनात पुलिस बल

रतलाम मंदसौर मार्ग पर सेजावता में वर्षों पूर्व स्थापित इप्का लैबोरेट्रीज दवा कंपनी के अस्थाई मजदूरों ने सोमवार को सुबह दवा कंपनी के सामने प्रदर्शन शुरू किया। उल्लेखनीय कि यहां पर कई मजदूर ठेकेदारों द्वारा भेजे जाते हैं। सैकड़ो मजदूरों के प्रदर्शन के मद्दे नजर प्रबंधन ने पुलिस बल बुलाया। इसके बाद सभी मजदूर अपनी बात जिला प्रशासन को बताने के लिए कलेक्टोरेट पहुंचे, जहां पर काफी देर तक में डेरा जमाए हुए रहे। आखिरकार जिला प्रशासन के अधिकारी उनकी मांग पर ध्यान देने के लिए आए।

एसडीएम को दिया ज्ञापन

मजदूरों की बात सुनते हुए सीएसपी श्री बारंगे। समीप मौजूद हैं एसडीएम श्री पांडेय

मजदूरों ने अपनी मांगों का ज्ञापन जिला प्रशासन के एसडीएम संजीव केशव पांडेय को सौपा और उनसे निराकरण करने की मांग की गई। मजदूरों से सीसी अभिनव बारंगे ने भी चर्चा की, समस्या को जाना और उन्हें समझाया। इस दौरान अखिल भारतीय बलाई महासंघ के जिला अध्यक्ष जीतू मालवीय, राहुल गुजराती, आशीष गुजराती, महेश बामनिया, धर्मेंद्र सिंह, ईश्वर मालवीय सहित बड़ी संख्या में मजदूर मौजूद थे। श्री पांडेय ने मजदूरों को आश्वस्त किया कि इस संबंध में कंपनी प्रबंधन से बात कर समस्या का निराकरण करवाने की कोशिश की जाएगी।

यह है मजदूर की मांग

⚫ 8 घंटे काम के ₹500 देने चाहिए

⚫ सभी अस्थाई कर्मचारियों का बीमा होना चाहिए

⚫ कंपनी के अंदर शारीरिक हानि या दुर्घटना होने पर आर्थिक सहायता देनी चाहिए

यह है समस्या मजदूरों की

⚫ कंपनी द्वारा 8 की बजाय 12 घंटे तक काम करवाया जाता है

⚫ मजदूरी के रूप में केवल 341 दिए जाते हैं

⚫ कंपनी तानाशाही कर प्रताड़ित करती है

⚫ रोज बाहर से आते हैं। बस में 5-10 मिनट विलंब होने पर गेट के अंदर नहीं जाने दिया जाता।

⚫ 50 से 100 रुपए खर्च करके आते और देर होने पर यहां काम नहीं मिलता

प्रबंधन का कहना

इप्का प्रबंधन द्वारा शासन के निर्धारित दरों के अनुसार श्रमिकों को भुगतान किया जा रहा है। बढ़ी हुई दरों पर इंदौर के कुछ उद्योगों की पिटीशन पर हाईकोर्ट ने स्टे लगाया है। अतः शासन ने पुनर्निर्धारण में जो दर तय की है,
उसी के अनुसार भुगतान किया जा रहा है। भविष्य में अगर शासन द्वारा वेतन दरों का पुनर्निर्धारण किया जाता है तो इप्का प्रबंधन भी शासन के निर्देशों का पालन करते हुए भुगतान करेगा।

विक्रम कोठारी, इप्का लैबोरेट्रीज

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