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फादर्स डे पर विशेष : उंगली उसकी थाम के, चले पिता भी साथ

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पंक्ति कोई प्यार की, जिसमें है उल्लास,
परिभाषा की पूर्णता, बच्चे के ही पास।

आशीष दशोत्तर

पंक्ति कोई प्यार की, जिसमें है उल्लास,
परिभाषा की पूर्णता, बच्चे के ही पास।

लिखे इबारत इल्म की,कोमल -कोमल हाथ,
उंगली उसकी थाम के, चले पिता भी साथ।

कोशिश उसकी देखना, होगी इक दिन पूर्ण,
पापा सा बन जाएगा, जिस दिन वह संपूर्ण।

उसकी छोटी उम्र है ,लेकिन लंबी सोच
करता है हर काम में, कब कोई  संकोच?

कोरे कागज़ पर लिखी,उसने उलझी बात,
पापा भी कहने लगे, ये तो हैं हालात।

आड़ी-तिरछी पंक्तियां,आड़े -तिरछे रूप ,
इनमें चाहे ढूंढ लो , तुम अपने स्तूप।

बिगड़ेगा सौ बार तो, बन जाएगा नेक,
लाखों में बच्चा वही , कहलाएगा एक।

आशीष दशोत्तर

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