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साहित्य सरोकार : नगर सेठ

उसकी बेटी को बच्चा होने वाला था। उसे रुपए की सख्त जरूरत थी। अस्पताल, दवाइयों का खर्च सब उसे ही करना था। आज भी सेठ सेठानी ने मना कर दिया।

इन्दु सिन्हा “इन्दु”

लगभग बीस साल से नगर सेठ के घर काम करने वाली गोमती  घर से फैसला करके आई थी। सेठ जी का काम छोड़ देगी क्योंकि उसे पंद्रह हजार की जरूरत थी। सेठ सेठानी उसे नहीं दे रहे थे।

उसने कहा भी पगार से थोड़े थोड़े रुपए कटवा लेगी। उसकी बेटी को बच्चा होने वाला था। उसे सख्त जरूरत थी। अस्पताल, दवाइयों का खर्च सब उसे ही करना था।
आज भी सेठ सेठानी ने मना कर दिया। गोमती की आँखों से आँसू निकल पड़े, बोली, शहर के लिए होंगे आप नगर सेठ। हर बरस पाँच लाख दान करते हो। घर के गरीबो के साथ दया नहीं दिखाते। आज से आपके घर का काम नही करूँगी।गोमती बाहर निकल आई।

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