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साहित्य सरोकार : पूणे और गुना से आ कर प्रिय रचना का पाठ करेंगे साहित्य प्रेमी

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‘सुनें- सुनाऍं’ का 22 वां सोपान 7 जुलाई को

हरमुद्दा
रतलाम, 5 जुलाई। ‘सुनें सुनाएं ‘ आयोजन अब सिर्फ़ रतलाम शहर का आयोजन ही नहीं रहा है। इसकी लोकप्रियता शहर से बाहर भी पहुंच रही है । यही कारण है कि इस आयोजन में रचना पढने के लिए रचना प्रेमी बाहर से आकर रचना पाठ करने को उत्सुक हैं । इस बार शहर के महत्वपूर्ण लोगों के साथ पुणे और गुना से भी रचना प्रेमी रतलाम आकर अपनी रचना पढ़ेंगे।


‘सुनें सुनाएं’ का 22 वां सोपान 7 जुलाई , रविवार को प्रातः 11 बजे जी. डी. अंकलेसरिया रोटरी हॉल (प्रथम तल), रतलाम पर होगा। इस बार रचना पाठ करने वालों में शहर के वरिष्ठ शिक्षाविद, चिंतक और जनप्रतिनिधि तो शामिल हैं ही साथ ही रतलाम से बाहर के रचना प्रेमी भी इसमें शिरकत कर रहे हैं। आयोजन में शिक्षाविद श्रीमती अनीता दासानी ‘अदा’ द्वारा सुशांत सुप्रिय की रचना ‘ धन्यवाद ज्ञापन ‘ का पाठ किया जाएगा वहीं रंगकर्मी श्याम सुंदर भाटी अज्ञात रचनाकार की ग़ज़ल ‘ भीगा – भीगा मौसम है ‘ का पाठ करेंगे। पूर्व प्राचार्य और रंगकर्मी ओमप्रकाश मिश्र द्वारा शरद जोशी की व्यंग्य रचना ‘ बरसों से हम दौड़ ही रहे हैं ‘ का पाठ किया जाएगा वहीं पूर्व प्राचार्य डॉ. गीता दुबे सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की रचना “खाली समय में” का पाठ करेगी। चिंतक विष्णु बैरागी द्वारा शमीम जयपुरी की ग़ज़ल ‘भला किसी की मुहब्बत में क्या लिया मैंने ‘ का पाठ करेंगे।

गुना के सामाजिक कार्यकर्ता लोकेश शर्मा इस आयोजन में रचना पाठ करने के लिए यहां आएंगे और नवाज़ देवबंदी की नज़्म ‘ सोचो, आख़िर कब सोचोगे’ का पाठ करेंगे। सेवानिवृत्त कृषि अधिकारी एवं रंगकर्मी अनमोल सुरोलिया द्वारा हरेंद्रसिंह ‘एहसास’ की रचना ‘ तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है ‘ का पाठ किया जाएगा। पूणे में बायो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही सुश्री बुलबुल भाटी श्री अशोक चक्रधर की रचना ‘ कुए का मेंढक ‘ का पाठ करने के लिए रतलाम आ रही हैं। शासकीय महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ . प्रदीप सिंह राव अदम गोंडवी की रचना ‘ सौ में सत्तर आदमी ‘ का पाठ करेंगे। पूर्व पार्षद गोविन्द काकानी द्वारा श्री प्रहलाद दास काकानी की रचना ‘गप्प है भाई गप्प ‘ का पाठ किया जाएगा।

सुधिजनों से उपस्थित रहने का आग्रह

उल्लेखनीय है कि इस आयोजन में कोई अपनी रचना नहीं पढ़ता है बल्कि अपने प्रिय रचनाकार की रचना का पाठ करता है और वह भी बिना किसी भूमिका के। सुनें सुनाएं ने शहर के सुधिजनों से उपस्थित रहने का आग्रह किया है।

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