धर्म संस्कृति : मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रभु के बताए मार्ग पर चलना चाहिए
⚫ आचार्य देव श्री नयचंद्रसागर सुरीश्वर जी म.सा. ने कहा
⚫ 45 आगम की 45 पालकी में शोभायात्रा निकाली जाएगी 4 अगस्त को
हरमुद्दा
रतलाम, 31 जुलाई। वर्धमान तपोनिधि पूज्य आचार्य देव श्री नयचंद्रसागर सुरीश्वर जी म.सा. ने बुधवार को सैलाना वालों की हवेली मोहन टॉकीज में प्रवचन के दौरान जीवन कैसे जीना है इस पर प्रकाश डाला। आचार्य श्री ने कहा कि जब भगवान पर श्रद्धा होती है, तब शासन की प्राप्ति होती है।
आचार्य श्री ने कहा कि धर्म की प्राप्ति नहीं होने पर हमे भौतिक पदार्थ अच्छा लगता है। मोहनीय कर्म के कारण हमें घर, परिवार सब कुछ अच्छा लगता है। जिन्हें मोह का नशा नहीं होता, उन्हें संसार भयानक लगता है। हमें विरागना नहीं हो, ऐसा जीवन जीना चाहिए। हमें प्रभु का शासन मिला है तो मोक्ष की प्राप्ति के लिए उनके बताएं मार्ग पर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सागर जी म. सा. की 150 वी सालगिरह आ रही है। इस अवसर पर तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित होंगे। उसके तहत 4 अगस्त को 45 आगम की 45 पालकी में शोभायात्रा निकाली जाएगी।
आयंबिल से होता मंगल
गणिवर्य डॉ. अजीत चंद्र सागर जी म.सा. ने कहा कि हमें पुण्य से ही बल मिलता है। जिस दिन पुण्य खत्म हो जाता है, उस दिन बल भी खत्म हो जाता है। आयंबिल तप ऐसा है, जिससे जीवन में, घर में, परिवार में सब मंगल होता है। श्री देवसुर तपागच्छ चारथुई जैन श्री संघ गुजराती उपाश्रय रतलाम एवं श्री ऋषभदेव जी केसरीमल जी जैन श्वेतांबर पेढ़ी रतलाम के तत्वावधान में आयोजित प्रवचन श्रृंखला में बड़ी संख्या में श्रावक, श्राविकाएं उपस्थित रहे।