ऐसे मना विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस : रेलवे के टाइम टेबल के फ्लैक्स बैनर पर मिला विद्यार्थियों के चयनित चित्रों को स्थान
⚫ आयोजन स्थल पर एन वक्त तक होती रही रेलिंग की सफाई
⚫ डीआरएम ने भी नहीं दिया ध्यान
⚫ आदेश राज्य शासन का हो या फिर केंद्र शासन का जिम्मेदार लेते हैं उसे हल्के में ही
हरमुद्दा
रतलाम, 14 अगस्त। मुद्दे की बात तो यही है कि अधिकारी चाहे राज्य शासन के हो या केंद्र शासन के। हर आयोजन को हल्के में ही लेते हैं और वह भी जन भावनाओं से जुड़े आयोजन को। माथा उतारनी का दृश्य बुधवार को रतलाम के रेलवे प्लेटफार्म पर विभाजन विभीषिका दिवस पर देखने को मिला।
वैसे तो आयोजन शुरू होने का मीडिया को समय दिया गया था 10:45 का। जहां रेलवे में सेकंड का हिसाब होता है मगर रेलवे जैसे विभाग में भी लेट लतीफी का आलम नजर आया।
चित्रों के साथ झांक रहा था टाइम टेबल का फ्लेक्स
विभाजन विभीषिका दिवस के तहत स्कूल में पोस्टर चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था, जिसके चयनित प्रतियोगियों के चित्रों के पोस्टर आयोजन स्थल पर रेलवे की टाइम टेबल के बने फ्लेक्स बैनर की फ्रेम के ऊपर लगाए गए, जिसमें से टाइम टेबल झांक रहा था। इससे स्पष्ट पता चलता है कि आदेश केंद्रीय आदेश का भी पालन निचले स्तर पर किस तरह किया जाता है।
घड़ी में 11:05 हो गए थे। आयोजन स्थल के समीप ही कबाड़ की जुगाड़ से बनाई गई कृति के आसपास लगाई गई एसएस की रेलिंग की सफाई कर्मचारी कर रहा था। ताकि सब कुछ अच्छा लगे मगर यह सब कुछ अधिकारी को दिखाने के लिए, आमजन के लिए नहीं। जहां पर सफाई की जा रही थी उस कृति के यहां पर भी महीनों की गंदगी जमा थी। जो की पानी से गलाने के बाद भी नहीं निकली।
11:0 8 पर हुआ डीआरएम का आगमन
मंडल रेल प्रबंधक रजनीश कुमार का आगमन भी 11:08 मिनट पर हुआ। उनके साथ अन्य निचले स्तर के अधिकारी कुर्सियों पर जम गए। दिनेश बावरिया ने देश भक्ति गीत प्रस्तुत किया।
डीआरएम ने उपस्थित विद्यार्थियों से अतीत से सीखने का आह्वान किया और उन्हें बताया कि आज जो है उसके पीछे अपने पूर्वजों ने कितना बलिदान किया है उसे भूला नहीं चाहिए। स्वतंत्रता के पहले और आज की स्थिति को विद्यार्थी जाने और समझे। संचालन गोपाल बोरीवाल ने किया।
बच्चों से किया संवाद भी, मगर पोस्टर के फ्लैक्स को किया नजर अंदाज भी
रेलवे के टाइम टेबल पर लगाए गए पोस्टर वाले स्थान के ठीक सामने भारत के विभाजन के दौरान निर्मित हुई विभिन्न परिस्थितियों के फोटो लगाए गए ताकि उसे आमजन देख सके। समझ सके। डीआरएम ने फोटो प्रदर्शनी और चित्रकला के पोस्टर का अवलोकन किया। चयनित पोस्टर बनाने वाले प्रतियोगियों से जानकारी हासिल की। मगर उन्होंने जिम्मेदारों को यह नहीं बताया कि आखिर टाइम टेबल वाले फ्लेक्स के ऊपर खास पोस्टर क्यों लगाए गए हैं? बेस अच्छा होना चाहिए था। मगर उन्होंने भी सब कुछ नजर अंदाज कर दिया।