भारत के लिए अपूरणीय क्षति : पद्म विभूषण रतनजी दुनिया को कह गए टाटा, आज वर्ली में होगा अंतिम संस्कार, दिया जाएगा राजकीय सम्मान
⚫ देश के डेवलपमेंट के लिए रहे हमेशा तत्पर
⚫ असाधारण व्यक्तित्व के थे धनि
⚫ तब मिली थी नैनो बनाने की प्रेरणा
हरमुद्दा
गुरुवार 10 अक्टूबर। मशहूर उद्योगपति पद्मविभूषण रतन टाटा का बुधवार रात देहांत हो गया। उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली। रतन टाटा का अंतिम संस्कार गुरुवार वर्ली में होगा। इससे पहले पार्थिव शरीर को आम जनता के दर्शन के लिए रखा जाएगा। रतन टाटा को राजकीय सम्मान दिया जाएगा।
बुधवार शाम में अचानक उनकी ज्यादा तबीयत बिगड़ने की खबर सामने आई थी, जिसके कुछ घंटों बाद खबर आई कि उन्होंने देह त्याग दिया है। रतन टाटा 86 वर्ष के थे। पिछले कुछ दिनों से उनका स्वास्थ्य खराब था। रतन टाटा का जाना भारत के लिए एक बहुत क्षति है। उन्हें देश कभी भूल नहीं पाएगा। उन्होंने देश के विकास के लिए कई काम किए। टाटा समूह को ऊंचाईयों पर पहुंचाने में रतन जी की बड़ी भूमिका रही है। वह एक दरियादिली व्यक्ति थे। देश के डेवलपमेंट के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।
गहरी क्षति के साथ विदाई
टाटा ग्रुप ने ट्वीट कर लिखा कि हम रतन टाटा को गहरी क्षति के साथ विदाई दे रहे हैं। वे एक असाधारण इंसान थे, जिनके अतुलनीय योगदान ने न सिर्फ समूह को बल्कि हमारे राष्ट्र को आकार दिया है।
28 दिसंबर 1937 में हुआ था जन्म
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 में मुंबई में हुआ था। वह टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परपोते हैं। रतन 1990-2012 तक ग्रुप के चेयरमैन रहे। फिर अक्टूबर 2016 से फरवरी 2017 तक अंतरिम चैयरमेन थे। वह टाटा ग्रुप के चैरिटेबल ट्रस्ट्स के प्रमुख भी थे। रतन टाटा ने अपनी विरासत में एअर इंडिया, विदेशी कंपनी फोर्ड के लग्जरी ब्रांड लैंडरोवर और जगुआर को अपने विरासत में जोड़ा है।
नैनो का दिलचस्प किस्सा
रतन टाटा ने एक बार मुंबई में बारिश में टू व्हीलर पर एक परिवार को भीगते हुए देखा। इस दृश्य ने उन्हें सबसे सस्ती कार टाटा नैनो को बनाने की प्रेरणा दी। उन्होंने इंजीनियर्स को बुलाया और एक लाख रुपये में कार तैयार करने को कहा। 10 जनवरी 2008 नैनो मीडिल क्लास को ध्यान में रखते हुए लॉन्च हुई।