श्री कृष्ण को निराकार मानने वाले भक्त हुए एकत्र रतलाम में

हरमुद्दा
रतलाम, 23 अगस्त। शहर में एक स्थान ऐसा भी है, जहां पर भक्त आराधना, उपासना करते हैं लेकिन निराकार श्री कृष्ण की। मंदिर है, पालना है, लेकिन साकार रूप में कोई नहीं। पूर्णब्रह्म परमात्मा श्रीकृष्ण की उपासना निराकार रूप में होती है। ऐसे भक्तों को निजानंद भी कहते हैं। निजानंद सम्प्रदाय को मानने वाले देश और विदेश में है।

बिचलावास में दशकों से गुजरात, सौराष्ट्र, झाबुआ के आसपास के भक्त साल में दो बार जरूर एकत्र होते हैं। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव और शरद पूर्णिमा उत्सव में।
“हरमुद्दा” से चर्चा में निजानंद सम्प्रदाय के धर्मोपदेशक सुरेश व्यास ने बताया कि इस संप्रदाय के प्रवर्तक विजयाभिनंदन निष्कलंक बुद्ध अवतार महामति श्री प्राणनाथ जी हैं।

वहां है वे समाधिस्थ

महामति श्री प्राणनाथ जी कृष्ण मुख वाणी को परमात्मा का ज्ञान स्वरूप मानकर उनकी उपासना करते थे। महामति जी वर्तमान में पन्ना जिले में है। जिसे पद्मावती पुरी धाम कहते हैं, वहां समाधिस्थ है।

तीसरी पीढ़ी दे रही है धर्म उपदेश

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धर्मोपदेशक श्री व्यास ने बताया कि श्रीमुख वाणी को कुलजम स्वरूप या स्वरूप साहब भी कहते हैं। बिचलावास स्थित उपासनालय के परमहंस महाराज 108 श्री सेवादास जी ने गुजरात में सम्प्रदाय से भक्तों को जोड़ा। तत्पश्चात संप्रदाय के धर्मोपदेशक चिमनलाल जी व्यास रहे। उनके बाद अब श्री व्यास आत्म जाग्रति का कार्य कर रहे हैं।

अनेक स्थानों से आए उपासक

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शुक्रवार को पेटलावद, झाबुआ, थांदला, मेघनगर, कल्याणपुरा, दोहद, आदि कई स्थानों से भक्तजन निराकार स्वरूप की उपासना में शामिल होने के लिए रतलाम स्थित उपासनालय पर आए हैं। यहां पर सभी भजन कीर्तन में तल्लीन हैं।

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