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हास्य कवि सम्मेलन: “दिल्ली के दिल में हर पल युद्धों के अरमां मचल रहे, सरहद के उस पार भेड़िए रोज ठिकाने बदल रहे”

हरमुद्दा
रतलाम, 8 सितंबर। तीन दिवसीय श्री सत्यवीर तेजाजी मेले के दूसरे दिन शनिवार की रात मंच पर हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। आमंत्रित कवियों ने काव्य पाठ कर रसिक श्रोताओं को ठहाके लगवाए। महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश से आए 6 कवियों ने समसामयिक, वीर, हास्य, विनोद, श्रंगार की रचना पाठ कर वाह वाही लूटी। हालांकि कवि सम्मेलन के लिए 14 नाम तय किए थे।

रामगढ़ स्थित श्री गणेश मंदिर के सम्मुख बने मंच पर कवियों का स्वागत महापौर सुनीता यार्दे ने किया। प्रारंभ में उदयपुर से आई दीपिका माही ने मां शारदे को याद करते हुए “शब्द भवानी मात शारदे” से कवि सम्मेलन का आगाज किया। आधी रात के बाद तक चले कवि सम्मेलन में शहरवासी ठहाके लगाते रहे। संचालन सुरेश मिश्रा ने किया।

दिल्ली के दिल में हर पल युद्धों के अरमां मचल रहे।
सरहद के उस पार भेड़िए रोज ठिकाने बदल रहे।।
हंसी वाला फंदा हाफिज की गर्दन को नाप रहा।
दाऊद इब्राहिम मोदी के डर से थरथर कांप रहा।।

शंकर सुखवाल, चित्तौड़गढ़

चले गर इंच भर भी तो मीटर ग़ज़ तक भी जाएंगे।
अभी है पांव मिट्टी कि सजधज तक भी जाएंगे ।।
भटकने पास मत देना निराशा को जरा सा भी ।
रखे हम हौसला जिंदा कि सूरज तक भी जाएंगे ।।

डॉ. शंभू सिंह मनहर, खरगोन

हमें इंसान प्यारा है, हमें भगवान प्यारा है ।
हमें गीता, रामायण, बाइबल, कुरान प्यारा है ।।
मगर जब बात होगी देश में मोहब्बत की ।
हमें सांसो से ज्यादा मेरा हिंदुस्तान प्यारा है।।

सुरेश मिश्रा, हास्य कवि, मुंबई

नदी अभिमान की उफनती जमीदारी को ले डूबी ।
तेरी मक्कारी इस भारत की खुद्दारी को ले डूबी ।।
जुबानी जंग में गाली की बारिश कर रहा है तू ।
यही कुंठा तेरे पुरखों की सरदारी को ले डूबी ।।

◼ सुनील समैया, हास्य कवि, बीना

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माना जरूरी है जीवन में हंसना और हंसाना ।
माना जरूरी है इंसान को गमों में मुस्कुराना ।।
पर जिन शहीदों ने आजादी के हवन कुंड में अपनी आहुतियां देदी सबसे ज्यादा जरूरी है, उन शहीदों
की चिताओं पर श्रद्धा पुष्प चढ़ाना

अर्जुन अल्हड़, कोटा

मेरी हर सांस, हर धड़कन में जिसका नाम आता है ।
मेरे लब पे सिवा उसके यूं किसका नाम आता है ।।
बड़ों से ये सुना है नाम लो तो उम्र घटी है ।
महज इस बात से चुप हूं कि उसका नाम आता है।।

दीपिका माही, उदयपुर

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