“आपकी नजरों ने समझा प्यार के काबिल मुझे” ने मन मोहा, भावगीत, अभंग, भक्ति गीत, नाट्य गीत, गजल की हुई उम्दा प्रस्तुति

हरमुद्दा
रतलाम, 9 सितंबर। चांदी जैसा रंग हे तेरा सोने जैसे बाल, लग जा गले, के फिर ये रात हो न हो, आपकी नजरों ने समझा प्यार के काबिल मुझे, भावगीत, अभंग, भक्ति गीत, नाट्य गीत, गजल की एक से बढ़कर सुमधुर गीतों की प्रस्तुति से सभागृह में उपस्थित श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए एवं संत ज्ञानेश्वर द्वारा रचित पसायदान से कार्यक्रम का समापन हुआ।

अवसर था स्टेशन रोड स्थित महाराष्ट्र समाज भवन में मनाए जा रहे सार्वजनिक श्री गणेशोत्सव का।
महाराष्ट्र समाज द्वारा मनाए जा रहे 90 वें सार्वजनिक श्री गणेशोत्सव के अन्तर्गत सोमवार रात्रि को ” स्वर आले जुलुनी ” गायन कार्यक्रम में हर्षदा चालीसगांवकर ने मराठी एवं हिंदी गीतों की एक से बढ़कर एक सुमधुर प्रस्तुति देकर उपस्थित श्रोताओं को आनंदित कर दिया।

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इनकी रही संगत

कार्यक्रम के प्रारंभ में श्री गणेश जी की पूजा अर्चना की गई। कार्यक्रम में तबला पर तल्लीन त्रिवेदी, हारमोनियम पर रोहित परिहार एवं मंजीरा पर भालचंद्र मारवाड़ी ने संगत दी।

किया अतिथियों का स्वागत

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कार्यवाह, बृहन महाराष्ट्र मंडल, नई दिल्ली दीपक कर्पे ( देवास) व दिलीप बाकरे थे। इस अवसर पर अतिथियों, कलाकारों सहित समाज की डॉ. श्वेता विन्चुरकर का स्वागत सार्वजनिक श्री गणेशोत्सव समिति अध्यक्ष सुनील पाटील, शारदा मंदिर ट्रस्ट सचिव दिलीप आप्टे, महाराष्ट्र समाज अध्यक्ष सुधीर सराफ, दिलीप बर्वे, महिला मण्डल उपाध्यक्ष प्रियंका झारे, कोषाध्यक्ष प्रतीक्षा रामपुरकर, सोनाली कस्तूरे, सुहास चितले, संतोष कोलंबेकर, संजय शिंखेड़कर, किरण तुलापुरकर ने किया। संचालन कल्पना पोटाडे़ ने किया। आभार मिलिन्द करंदीकर ने माना।

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