बाढ़ का पानी तो उतरा लेकिन आफतों की बाढ़ कायम : गृहमंत्री शाह से सांसद गुप्ता ने मुलाकात कर दी जानकारी
हरमुद्दा
मंदसौर, 20 सितंबर। पिछले दिनों हुई मंदसौर व नीमच जिले में भारी बारिश के कारण हालात भयानक हो गए थे। अब बाढ़ का पानी तो उतर गया लेकिन आफतों की बाढ़ प्रभावित लोगों के चेहरों पर साफ देखी जा सकती है। किसान पहले ही कर्ज से परेशान और फसलें पूरी तरह तबाह हो गई है। कई गांवों में गरीबों के कच्चे मकान गिर गए है। रहने को छत नहीं है।
इसकी जानकारी का विस्तृत ब्यौरा व क्षेत्र की नष्ट हुई फसलों का आंकड़ा की फाइल गुरुवार को सांसद सुधीर गुप्ता ने भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष व गृहमंत्री अमित शाह को सौंपी।
बाढ़ से भारी तबाही हुई
उन्होंने बताया कि किस तरह जावरा विधानसभा के रोला, रिंगनोद, रणायरा गुर्जर, रिछा, मंदसौर, मल्हारगढ़, धुंधड़का, अरनिया निजामुद्दीन, पाल्यामारू, भानपुरा, गरोठ, सुवासरा, शामगढ़, मनासा के रामपुरा, जावद व नीमच विधानसभा के अनेकागांव में सहित क्षेत्र के कई ग्रामों में बाढ़ से भारी तबाही हुई है।
कई गांव में अब तक नहीं पहुंची सर्वे टीम
सांसद गुप्ता ने गृहमंत्री को बताया कि मंदसौर जिला व रतलाम में बाढ़ से नागरिकों, किसानों, व व्यापारी को काफी नुकसान हुआ है। मंदसौर, नीमच व जावरा में लगभग 40 हजार से अधिक मकान धराशाही हो गए है और अभी तक कई गांवो में सर्वे टीम पहुंच ही नहीं पाई है। कई लोग बेघर हो गए है। वहीं शहरी क्षेत्रों में डूब से व्यापरियों को करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है।
हालात यह है कि शहर की निचली बस्तियों में निवासियों का सबकुछ बाढ़ में बह गया। प्रभावित लोगों को कपड़े व खाना भी सामाजिक संस्थाओं द्वारा उपलब्ध कराया गया । तत्काल सहायता के रूप में किसी तरह का सहयोग शासन से नहीं हुआ है। खानापूर्ति के लिए सर्वे की बात कहीं जा रही है लेकिन वह महज एक औपचारिकता है।
फंड का उपयोग करने में सरकार रही नाकाम
“मुद्दे” की बात तो यह है कि एसडीआरएफ आपदा प्रबंधन का 1 हजार 66 करोड़ रुपए जो कि रिजर्व फंड के रूप में पड़ा है प्रदेश की सरकार उसे भी उपयोग करने में नाकाम रही है। जबकि तत्काल गरीबों को राशन और मकान के लिए तुरंत आर्थिक सहायता इस फंड से दी जानी चाहिए। कहीं सरकार की मंशा इस रिजर्व फंड से दूसरे कार्यो को करवाने की तो नहीं है। क्योंकि अब तक सरकार ने किसी तरह का मुआवजा जारी करने के निर्देश नहीं दिए है। इस तरह के पत्र के साथ विस्तृत जानकारी उन्होने अमित शाह को दी।
चेतावनी के बाद भी नहीं खोले गांधी सागर के गेट
“मुद्दे” की बात बताते हुए कहा कि मौसम विभाग की चेतावनी के बाद भी गांधीसागर के गेट ना खोलना शासन की भारी नाकामी है। साथ ही सांसद गुप्ता ने गृहमंत्री को अवगत कराया की किस तरह से इतिहास में पहली बार गांधीसागर जलाशय के उपर से पानी बह गया। जो कि एक बड़े खतरे का संकेत था। जब पानी की आवक लगातार बड़ रही थी और मौसम विभाग की भारी चेतावनी जारी हो चुकी थी उसके बाद भी गांधीसागर के गेट समय से ना खोलकर लाखों नागरिकों की जान को प्रशासन ने खतरे में डाल दिया। गांधी सागर के समय रहते गेट ना खोलने से बाकी नदी और तालाबों के पानी की निकासी नहीं हो पाई और वे उफान पर आ गए। वहीं बाद में अचानक गेट खोले जाने पर कोटा, भिंड, मुरैना व उत्तर प्रदेश का ऐटा सहित कई जिलों के अनेको गांव बाढ़ की चपेट में आ गए और ऐसे में जरा सी अनहोनी लाखों नागरिकों के लिए खतरा हो सकती थी।
हुई उनसे भी मुलाकात सांसद गुप्ता की
सांसद गुप्ता इस संबंध में एनडीआरएफ के डीजी एसएन प्रधान से मिले व संयुक्त सचित एनडीआरएफ संजीव जिंदल और जल शक्ति मंत्रालय सचिच यूपी सिंह से उन्होने विस्तृत चर्चा की। उसके बाद उन्होने पूरी जानकारी गृहमंत्री को सौंप बताया कि किस तरह एनडीआरएफ की टीम ने सफलता पूर्वक रेस्क्यू आपरेशन चलाकर नागरिकों की जान बचाई। परंतु मध्यप्रदेश सरकार ने लगातार हो रही बारिश के बाद भी एनडीआरएफ को समय से पहले नहीं बुलाया बल्कि वे स्वयं आए। जबकि 14 अगस्त की बारिश के दौरान जब शहर की निचली बस्तियों में पानी भर गया था तो फिर प्रशासन सचेत क्यों नहीं हो पाया और घटना होने के कारण शहर की काॅलोनीयों में पानी भर जाने से लोग घरों की छतों पर फंस गए जिन्है युवकों द्वारा रेस्कयू कर निकाला गया।
प्रभावित व्यक्तियों को दिलाएं उचित मुआवजा
अतः सांसद गुप्ता ने गृहमंत्री श्री शाह से अनुरोध किया कि वे इसकी जांच करवाकर उचित कार्रवाई करें और बाढ़ प्रभावित व्यक्तियों को उचित मुआवजा शीघ्र दिलवाएं।
सांसद जल शक्ति मंत्रालय सचिव यूपी सिंह के साथ
सांसद श्री गुप्ता डीजी एसएन प्रधान से चर्चा कर संसदीय क्षेत्र की जानकारी देते हुए
सांसद श्री गुप्ता संयुक्त सचिव एनडीआरएफ संजीव जिंदल के साथ चर्चा करते हुए