नौनिहालों को हर चुनौती का सामना करने की सामर्थ्य पैदा करता है शिक्षक: रावत
हरमुद्दा
रतलाम, 3 नवंबर। समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, अशिक्षा, कुपोषण, कुसंस्कार, अत्याचार और अन्याय के अंधेरों को शिक्षक अपने शिक्षा रूपी दीपक से दूर कर सकता है। शिक्षक में वह योग्यता होती है कि वह अपने ज्ञान और अनुभव के बल पर उस के सान्निध्य में आने वाले नौनिहालों को हर चुनौती का सामना करने की सामर्थ्य पैदा कर सकता है।
यह विचार शासकीय उमावि मलवासा के प्राचार्य एवं राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित सीआरएम के. रावत ने व्यक्त किए। प्राचार्य रावत शिक्षक सांस्कृतिक मंच द्वारा आयोजित साप्ताहिक शिक्षक परिचर्चा में मौजूद थे।
आमूल चूल परिवर्तनों के लिए शिक्षक की भूमिका सर्वश्रेष्ठ: डॉ. चांदनीवाला
विषय प्रवर्तन प्रस्तुत करते हुए मंच के परामर्शदाता एवं शिक्षाविद् डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला ने शिक्षक की व्यापक व्याख्या करते हुए समाज में हुए आमूल चूल परिवर्तनों के लिए शिक्षक की भूमिका को सर्वश्रेष्ठ भूमिका निरूपित किया। समाज का नेतृत्व सही मायने में शिक्षा से होता है समाज को नई राह दिखाना परिवर्तनों से परिचित करवाना एवं आवश्यकताओं के लिए नवाचार करना यह शिक्षक द्वारा ही संभव है।
मानव समाज की समूची प्रगति शिक्षक के कुशल नेतृत्व का परिणाम : शर्मा
मंच अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि शिक्षक तो हमेशा ही युग-युग से समाज को अपने ज्ञान रूपी उजाले से अलौकित करता रहा है। मानव समाज की समूची प्रगति शिक्षक के कुशल नेतृत्व का परिणाम है। शिक्षिका नूतन मजावदिया कहा कि हम सब समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए अपने शिक्षक रूपी ज्ञान और अनुभव का सदुपयोग करें ताकि समाज में नवचेतना का दीया जल उठे। शिक्षक चंद्रकांत वाफंगावकर, दिलीप वर्मा, रमेश उपाध्याय, रक्षा के. कुमार ने भी अपने विचार रखे।
यह थे उपस्थित
इस अवसर पर कृष्ण चंद्र ठाकुर, नरेंद्र सिंह राठौड़, राधेश्याम तोगड़े, राजेंद्र सिंह राठौड़, मिथिलेश मिश्रा, अनिल जोशी, कविता सक्सेना, भारती उपाध्याय, आरती त्रिवेदी, भगवती लाल साल्वी आदि उपस्थित थे। परिचर्चा का संचालन दिनेश शर्मा।आभार दिलीप वर्मा ने माना।