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पत्रकारिता जनसंचार का एक सशक्त माध्यम : डॉ.भट्ट

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हरमुद्दा
रतलाम, 6 नवंबर। पत्रकिरता जनसंचार का एक सशक्त माध्यम है । पहले ताड, भोज एवं ताम्रपत्र पर शब्द लिखे जाते थे। जर्मनी में छापेखाने का आविष्कार हुआ जिसने मुद्रण का कला को गति प्रदान की। विचारों के आदान-प्रदान को आसान बनाया।यह विचार शासकीय महाविद्यालय कालूखेड़ा की प्राध्यापक डॉ. अर्चना भट्ट ने व्यक्त किए। डॉ. भट्ट स्वामी विवेकानंद करियर मॉर्गदर्शन प्रकोष्ठ शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय, रतलाम द्वारा पत्रकारिकता में रोजगार के अवसर (प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया) विषय पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद थीं।

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डॉ. भट्ट ने विद्यार्थियों से कहा कि भारतीय पत्रकारिता की नींव रखने वालों में राजा राममोहन राय, भारतेन्दु हरीशन्द्र, बाबुराव विष्णु पराडकर, तिलक, विपिन चन्द्र पाल, अरविंद घोष आदि प्रमुख थे। भारत में आज विभिन्न उद्योग समूहों की विकास दर फर्मस्यिटिकलमें 9.4, आटोमोबाइल में 9.5, उत्पादन में 4.3 तथा भारतीय मीडिया जगत की वाकस दर 10.5 प्रतिशत है । जबकि विश्व मीडिया की विकास दर केवल 4.2 प्रतिशत है। इस लिहाज से भारत में पत्रकारिता में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं।

कई सारे पाठ्यक्रम होते हैं पत्रकारिता में

भारत में पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश के लिए कई पाठ्यक्रम उपलब्ध है। जैसे- मास कम्यूनिकेशन, पत्रकारिता एवं जनसंपर्क डिप्लोमा इन मास मीडिया आदि। पत्रकारिता में रोजगार के अवसर अनेक जगह उपलब्ध है। प्रिंट मीडिया, वेब सीरीज, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, रेडियो, जनसंपर्क। हमारे देश में सात हजार से ज्यादा समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं छपती है। इंटरनेट पर कई पोर्टल है। जैसे- डेली हंट, टीवी चेनल्स की संख्या भी लगातार बढ रही है। भारत में जब से एफ एम चेनल शुरू हुए है। तब से रोजगार के अवसर भी बढ रहे है। जनसंपर्क भी पत्रकारिता का ही एक हिस्सा है। सरकार एवं कंपनियां भी अपनी छवि बनाने के लिए अपने कार्यो को समाज तक पहुंचाने के लिए जनसंपर्क अधिकारी नियुक्त करती है। इन सभी श्रेणियों में कई पद होते है । जहां विद्यार्थी अपनी सेवाएं देकर रोजगार प्राप्त कर सकते है। रिपार्टर, फीचर लेखक, प्रुफ रीडर, लीडर रायटर, कॉलम लेखक, आलोचक, संपादक, फोटो पत्रकार, कार्टूनिस्ट, रेडियो जॉकी, न्यूज रीउर आदि।

छोटे-छोटे लेखन से करें शुरुआत : डॉ. पाठक

कार्यक्रम का संचालन करते हुए करियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ की संयोजक डॉ. स्वाति पाठक ने विद्यार्थियों को प्रकोष्ठ के माध्यम से उपलब्ध कराए जाने वाले रोजगार के अवसरों की जानकारी दी। डॉ. पाठक ने कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले विद्यार्थी समाचार पत्रों, न्यूज चेनल को देखना शुरू करें और लेखन के छोटे-छोटे प्रयास शुरू करें । पत्र संपादक के नाम, महाविद्यालयीन कार्यक्रमो के प्रतिवेदन, प्रेस नोट लिखकर वे लेखन कला में परिपक्वता हासिल कर सकते है। प्रारंभ में अतिथि का स्वागत सर्वोच्च अंक प्राप्त विद्यार्थी गौरव वासनवाल ने किया। आभार डॉ. अंजेला सिंगारे ने माना।

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