भगवान ने की भक्त की जिद्द पूरी, एक माह से छोड़ दी थी श्रीराम शीला की पूजा

🔳 29 साल से हो रही थी श्रीराम शीला की पूजा

🔳 82 साल की भक्त की खुशी का ठिकाना नहीं
हरमुद्दा
रतलाम, 10 नवंबर। भगवान और भक्त की भक्ति के किस्से पुराणों में मिलते ही हैं लेकिन रतलाम की एक बुजुर्ग महिला भक्त ने एक माह पहले भगवान से जिद्द की, स्पष्ट भाव से कहा कि बहुत हो गया, 29 सालों से श्रीराम शीला की पूजा कर रही हूं, लेकिन अब नहीं करूँगी, आपको अयोध्या में श्रीराम का मंदिर बनवाना ही होगा। वह जिद्द शनिवार को पूरी हो गई। श्रीरामलला का मंदिर वहीं बनेगा, जहां इस भक्त महिला ने भी कारसेवा की थी। आज उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। काफी जोश और उत्साह से भरी हुई थी।

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हम बात कर रहे है देशभक्त और भारतीय संस्कृति व संस्कार का प्रचार प्रसार करने वाली 80 वर्षीय शोभा देवी कोठारी व 84 वर्षीय गोपालराव कोठारी की। उल्लेखनीय है कि श्री कोठारी संघ के प्रचार प्रसार में बचपन से ही तल्लीन है। खास चर्चा में श्री कोठारी ने बताया कि 1990 में श्री राम जन्मभूमि आंदोलन में शिलाएं रतलाम आई थी। तब मुझे प्रभारी बनाया था। जिलेभर में शिलाओं को भेजा गया था और सवा रुपए दक्षिणा के साथ एकत्र की गई। फिर उन शिलाओं को अयोध्या लेकर गए थे।

बाद में आई थी वनवासी क्षेत्र से एक शीला

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अयोध्या से लौटने के बाद वनवासी क्षेत्र के एक भक्त ने शीला श्री कोठारी को दी थी लेकिन वह अयोध्या नहीं भेज पाए थे, तब से उसकी पूजन श्री कोठारी के घर पर 29 सालों से हो रही थी। करीब एक माह पहले महिला भक्त शोभा देवी ने श्री कृष्ण, श्री राम जी और गुरुजी से प्रार्थना कर कहा कि इतने सालों से पूजन कर रही हूं लेकिन राम मंदिर के पक्ष में फैसला नहीं आ रहा है। अब बहुत हो चुका। अब मैं शीला की पूजन नहीं करूंगी। भगवान ने भक्त की प्रार्थना सुनी और शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश दे दिया कि राम मंदिर निर्माण वहीं होगा। यह खबर सुनते ही दम्पत्ति गदगद हो गए और खुशी के मारे आंसू छलक पड़े। उन्होंने कहा कि भगवान भक्तों की जिद्द भी पूरी करते हैं आज साबित हो गया।

अयोध्या जाने की यादें हो गई ताजा

श्रीमती कोठारी ने बताया कि 1986 में अखिल भारतीय स्तर की बैठक अयोध्या में हुई थी, तब प्रांत प्रमुख के नाते मैं वहां गई थी। कारसेवा के दौरान भी पूरा परिवार वहां पर मौजूद था। कुछ दिन हमें जेल में भी रहना पड़ा था। उस दौरान कारसेवकों की खाने का इंतजाम करने के लिए हम गांव-गांव जाते थे। 30-30 किलोमीटर पैदल चले और घरों से रोटियां एकत्र करते। गांववासी भी बहुत आदर सत्कार करते थे। गर्म पानी से पांव धुलाते, मालिश करते। मेरे साथ आनंदी देवी दवे, पुरोहित मैडम, राठौर मैडम, जोशी मैडम सहित कई महिलाएं साथ थी। हम आस-पास जाते और दो-दो रोटी सब्जी या अचार की मांग करते थे और सारी व्यवस्थाएं करके हम कारसेवकों को भोजन पहुंचाते थे।

सत्याग्रह के दौरान भी गए थे जेल

70 साल पुरानी बातों को याद करते हुए श्री कोठारी ने बताया कि आजादी के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन में भी सक्रियता से शामिल हुए थे। श्री कोठारी ने बताया कि सत्याग्रह आंदोलन में मेरे बड़े भाई गोविंद जी कोठारी और मैं आंदोलन में सक्रिय थे, तब हमें उज्जैन जेल भी जाना पड़ा था। देश भक्ति और धर्म जागरण के लिए हमने सतत प्रयास किए और संघ का कार्य करते रहे।

अब अयोध्या जाने की तैयारी

बुजुर्ग दंपत्ति ने बताया कि 29 सालों से जो शीला हमारे यहां पूजित होती रही, उसे लेकर अब हम शीघ्र ही सपरिवार अयोध्या जाएंगे।

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