🔲 निजी चिकित्सालयों, नर्सिंगहोम के संचालक व चिकित्सक की हुई बैठक हरमुद्दारतलाम, 4 अप्रैल। कोविड19 की गंभीरता को दृष्टिगत रखते...
भोपाल
हरमुद्दारतलाम, 4 अप्रैल। कोरोना महामारी के बढते प्रकोप के बीच रतलाम में समाजसेवियों ने जरूरतमंद गरीबों को कोरोना उपचार के...
हरमुद्दारतलाम, 3 अप्रैल। कोरोना वायरस से हर दिन संक्रमित होने वाले धमाका कर रहे हैं। शनिवार को आई जांच रिपोर्ट...
पूर्व से तय तारीख से होगी परीक्षाएं हरमुद्दाभोपाल, 3 अप्रैल। मध्यप्रदेश में कक्षा 9 वीं एवं कक्षा 11 वीं...
🔲 काफी मशक्कत के बाद मिले परिजन 🔲 परिवार की मदद कर करवाया अंतिम संस्कार हरमुद्दारतलाम, 3 अप्रैल। मानसिक रोगी...
🔲 अजाक्स की बैठक में पखवाड़ा मनाने का निर्णय 🔲 पखवाड़े की शुरुआत 5 अप्रैल से हरमुद्दारतलाम, 3 अप्रैल। मध्य...
🔲 दशा माता का व्रत उत्सव मंगलवार हरमुद्दारतलाम, 3 अप्रैल। परिवार की सुख समृद्धि और खुशहाली के लिए महिलाओं द्वारा...
‘जीवन के दुःख-दर्द हमारे बीच ही हैं और खुशियां भी हमारे करीब।ज़रूरत इन्हें देखने और महसूस करने की है। सड़क पर चलते हुए जब किसी आदिवासी के फटे पैर दिखते हैं तो भीतर का कवि जाग जाता है।उस पीड़ा को वही समझ सकता है जो उस आदिवासी के प्रति संवेदना रखता हो।‘ इन संवेदनाओं को अपने सक्रिय जीवन में कई बार अभिव्यक्त करते रहे हिन्दी और मालवी के कवि, डाॅ. देवव्रत जोशी आम जनता की पीड़ा, दुःख-दर्द से, कलम और देह से उसी तरह जुड़े रहे जिस तरह कोई शाख पेड़ से जुड़ी रहती है। पाॅच दशक तक निरंतर लिखते हुए देवव्रत जी ने साहित्य के कई उतार-चढ़ाव देखे। वे छंदबद्ध रचना छंदमुक्त दौर के सर्जक/साक्षी रहे। उन्होंने गीत-नवगीत और नई कविताएॅं लिखी। उनकी कलम जब भी चली नई परिपाटी को गढ़ती चली गई। ज़िन्दगी से लम्बी जद्दोजहद के...
मामला 80 फिट रोड स्थित जीवांश हॉस्पिटल का हरमुद्दारतलाम, 2 अप्रैल। कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति का उपचार मेडिकल...