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नेहरू जी के मस्तिष्क में इंसान और ह्रदय में था हिन्दुस्तान : अदिति दवेसर

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🔳  पंडित जवाहरलाल नेहरु की 130 वी जयंती पर कार्यक्रम आयोजित

हरमुद्दा
रतलाम, 14 नवंबर। जवाहरलाल नेहरू की सोच में आधुनिकता और विकास की एक स्पष्ट रूप रेखा थी। स्वभिमान के लिए उन्होनें खादी को अपनाया तथा उनके अंदर बच्चों की मासुमियत हमेशा जिन्दा रही। वास्तव में उनके मस्तिष्क में इंसान और और ह्रदय में हिन्दुस्तान था। नेहरूजी कमजोर वर्गो की हमेशा चिंता करते थे।
यह बात कांग्रेस नेत्री अदिति दवेसर ने कही। श्रीमती दवेसर शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय में पंडित श्री जवाहरलाल नेहरूजी की 130 वीं वर्षगाठ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं।

जीवन में सकारात्मक पहलुओं को पढ़े

श्रीमती दवेसर ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे सोशल मीडिया के नकारात्मक पहलूओं को छोडकर पढ़ने की आदत डाले।

दुनिया भर की रहता नेहरू जी से प्रभावित थे : डॉ. शर्मा

शासकीय भगतिसंह महाविद्यालय जावरा के राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक डॉ. वीडी शर्मा ने कहा कि जिस ताकतवर देश के रूप में आज भारत पूरी दुनिया में जाना जाता है। उसकी नींव पं. जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी। कम ही लोग जानते है कि भारत के संविधान पर भी नेहरूजी का ही प्रभाव है। जिस समय हिन्दुस्तान आजादी की लड़ाई लड़ रहा था, उस समय भी दुनिया के बड़े-बड़े देशों के नेता नेहरूजी से प्रभावित थे। श्री शर्मा ने कह कि अंग्रेजी पड़ने के बाद भी नेहरू पर अंग्रेजीयत का रंग कभी नहीं चढ़ा। गोखले द्वारा बनाई गई सेवक समिति ने नेहरू को बहुत प्राभावित किया। दरअसल नेहरू हमेशा मानवतावादी सोच को महत्व देते थे । वे सचमुच में प्रजातांत्रिक मूल्यों के पोषक थे।

उद्योगों को मंदिर मानते थे पंडित नेहरू : डॉ. वाते

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय वाते ने कहा कि नेहरू उद्योगों को ही मंदिर मानते थे । आज उद्योगों के माध्यम से हम जीवन में जो परिवर्तन ला रहे है उसमें कही न कही नेहरूजी का भी योगदान है।

किया अतिथियों का स्वागत

अतिथियों का स्वागत प्राचार्य डॉ. संजय वाते, कार्यक्रम संयोजिका डॉ. शकुन्तला जैन तथा डॉ. आर. के. मौर्य ने किया। संचालन डॉ. रामकमार मौर्य ने किया। आभार डॉ. शकुन्तला जैन ने माना ।

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