आंगनवाड़ी के सार्थक प्रयासों से ऋषिका कुपोषण से हुई मुक्त

हरमुद्दा
शाजापुर, 6 दिसंबर। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा चलाई जा रही मुहिम के तहत शुजालपुर परियोजना क्षेत्र की ग्राम खेड़ीनगर की आंगनवाड़ी केन्द्र के सार्थक प्रयासों से बालिका ऋषिका कुपोषण जैसी गंभीर बीमारी से मुक्त होकर स्वस्थ जीवन की ओर अग्रसर है।

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा बच्चे के जन्म से पूर्व गर्भवती महिला की स्वास्थ्य जांच, गोदभराई, अन्नप्राशन्न, गृहभेंट, पौष्टिक आहार के सेवन की जानकारी आदि सेवाओं का क्रियान्वयन किया जाता है। विभाग जच्चा एवं बच्चा दोनों को सेहतपूर्ण भविष्य देने के लिए प्रतिबद्ध है। अगर जन्म उपरांत बच्चा कुपोषित होता है तो उसके उपर सतत् निगरानी रखी जाकर समय-समय पर जांच की सुविधा, पौष्टिक आहार की सलाह एवं उपलब्धता तथा पौषण पुनर्वास केन्द्र (एनआरसी) में भर्ती व फालोअप के माध्यम से कुपोषण से बाहर निकालने का प्रयास किया जाता है। विभाग की न्यूनतम इकाई आंगनवाड़ी केन्द्र द्वारा सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रियता के साथ कार्य करने के कारण बच्चे कुपोषण से बाहर आ रहे हैं।

हो गई थी टीबी और कुपोषण का शिकार ऋषिका

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तब ऋषिका

ग्राम खेड़ीनगर की आंगनवाड़ी में पंजीबद्ध बालिका ऋषिका विभाग की सक्रियता से कुपोषण से मुक्त हुई। इस बालिका का जन्म 18 जनवरी 2018 को हुआ था। बालिका के जन्म के समय वजन 3 किलो 100 ग्राम था, जो अच्छी सेहत का द्योतक है, परन्तु टीबी जैसी गंभीर बीमारी एवं पौष्टिक आहार की कमी के कारण बच्ची का वजन दिन-प्रतिदिन गिरता रहा और वह कुपोषण की श्रेणी में आ गई।

सतत प्रयासों से मिली सफलता

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अब ऋषिका

विभाग की पर्यवेक्षक अनुभा तिवारी एवं कार्यकर्ता जानकी मेवाड़ा व सहायिका रानी जाटव के नियमित सतत् सतर्कताभरे प्रयासों के कारण सही समय पर एनआरसी में विगत 15 जुलाई 2019 को भर्ती कराया गया था, तब उसका वजन 6 किलो 200 ग्राम था। एनआरसी में उपचार एवं फालोअप के पश्चात और पौष्टिक आहार के नियमित सेवन की सलाह से बच्ची का वजन 19 नवंबर को 8 किलो 200 ग्राम तक आ गया। अब यह बच्ची कुपोषण से मुक्त होकर सामान्य वजन श्रेणी में आ गई है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा किए गए प्रयासो एवं टीम वर्क से रिशिका कुपोषण मुक्त हो गई।

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