अंगूर, स्ट्रॉबेरी के बाद अब विदेश ड्रैगन फ्रूट की पैदावार रतलाम में
🔳 जिले के किसान है दशरथ पाटीदार
🔳 2 बीघा भूमि में लगाए है 2000 पौधे
🔳 ड्रैगन फ्रूट का पौधा 25 साल तक देता फसल
हरमुद्दा
रतलाम 7 जनवरी। जिले में अंगूर, स्ट्रॉबेरी, पपीता, एप्पल बेर के साथ-साथ अब ड्रैगन फ्रूट की पैदावार लेने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। पैदावार लेने वाले विकासखंड पिपलोदा के ग्राम गणेशगंज के 26 वर्षीय युवा प्रगतिशील काश्तकार दशरथ पाटीदार है।
दशरथ पाटीदार ने सितंबर माह में ड्रैगन फ्रूट की पहली फसल ली है। ड्रैगन फ्रूट एक विदेशी फल है जो किसान को मालामाल कर सकता है क्योंकि यह प्रति नग 100 से 150 रूपए की दर से बेचा जाता है।
आधुनिक खेती में करते हैं नवाचार पाटीदार
खेती में नए-नए प्रयोग करने वाले दशरथ पाटीदार वैसे तो दसवीं उत्तीर्ण हैं परंतु आधुनिक खेती और नई-नई फसलों के लिए लगातार जानकारी जुटाते रहते हैं। उन्होंने 18 माह पूर्व गुजरात के वडोदरा जिले से ड्रैगन फ्रूट के पौधे लाकर अपनी 2 बीघा भूमि में लगाए हैं वे 40 रूपए प्रति पौधे के मान से 2000 पौधे लाए थे। ड्रैगन फ्रूट का पौधा 25 साल तक फसल देता है।
तीसरे साल में बढ़ेगी पैदावार
पाटीदार ड्रैगन फ्रूट फसल की ड्रिप द्वारा सिंचाई करते है। इसके पौधे को सीमेंट के खंबे पर रिंग के सहारे टिकाया जाता है, लगभग 7 फीट का खंबा 2 फीट नीचे जमीन में तथा 5 फीट ऊपर होता है। तीसरे साल से ड्रैगन फ्रूट ज्यादा संख्या में पौधों से प्राप्त होता है, जब पौधा पर्याप्त मजबूत और आकार में बड़ा हो जाता है। इसकी खेती में शुरुआती साल में ही लागत खर्च निकल जाता है।
फिलहाल स्थानीय मार्केट में बिक्री
बिक्री के लिए स्थानीय मार्केट तो है ही, साथ ही अन्यत्र स्थानों पर भी विक्रय के लिए पहुंचाया जा सकता है। साल भर में एक बार फसल आती है। दशरथ बीते सितंबर में एक फसल ले चुके हैं, आगामी सितंबर में पुनः फसल उत्पादन मिलेगा। वैज्ञानिक ढंग से खेती में विश्वास रखने वाले दशरथ पाटीदार शासन के उद्यानिकी विभाग के संपर्क में रहते हैं, नई-नई तकनीकों के लिए मार्गदर्शन लेते हैं।
रकबे में विस्तार का प्रस्ताव भेजेंगे शासन को
ड्रैगन फ्रूट की खेती किसान के लिए बहुत फायदेमंद है, इसको बहुत कम मात्रा में उर्वरक की जरुरत पड़ती है, कीटव्याधि भी परेशान नहीं करती। ड्रैगन फ्रूट की सफलता को देखते हुए आगामी वर्षों में इसके रकबे में विस्तार के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा।
🔳 पीएस कनेल, उपसंचालक, उद्यानिकी विभाग, रतलाम