अल्पविराम ने जीवन की पूर्णता का सिखाया सबक
हरमुद्दा
शाजापुर, 28 जनवरी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के स्टाॅफ के मध्य गत दिवस राज्य आनंद संस्थान द्वारा अल्पविराम कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सर्वप्रथम राज्य आनंद संस्थान शाजापुर डिस्ट्रीक प्रोग्राम लीडर द्वारा संस्थान की विभिन्न गतिविधियों से उपस्थित प्रतिभागियों को अवगत कराया। इसके उपरांत राजय आनंद संस्थान की मास्टर ट्रेनर डाॅ. समीरा नईम द्वारा सत्र का प्रारंभ किया गया। मेरे जीवन का आनन्द क्या है? यह कब बढ़ जाता है और कब कम होता है? इन प्रश्नों के उत्तर में एक प्रतिभागी ने बताया कि मेरे जीवन का आनंद मेरा 05 वर्षीय बेटा है उसने 26 जनवरी को मुझे तिरंगा बनाकर गिफ्ट किया, वह क्षण मेरे लिये अत्यंत आनंद दायक था।
इसी तरह एक दूसरी प्रतिभागी ने बताया कि दर्द से जूझती महिला को डिलेवरी के बाद जब उसका बच्च गोद में देते है और वह थैंक यू बोलती है तब उनका आनन्द बढ़ जाता है। एक अन्य प्रतिभागी ने बताया कि पूरी ईमानदारी और तन्मयता से ड्यूटी करने के बाद भी कोई भ्रष्टाचार का इल्जाम लगाता है तो उसका आनंद कम हो जाता है।
जीवन में आए परिवर्तन को बताया
राज्य आनंद संस्थान से पधारे प्रदीप महतो द्वारा अल्पविराम के माध्यम से उनके जीवन में आए परिवर्तन की कहानी को साझा करते हुए बताया कि हमें अपनी अंतरात्मा से ही सही संकेत प्राप्त होते हैं। अंतरात्मा से सम्पर्क होने पर ही हमें अपने में क्या सुधार करना है और किस दिशा में जाना है यह तय होता है।
सकारात्मक परिवर्तन को किया साझा
कार्यक्रम में उपस्थित नीलू सक्सेना द्वारा विभिन्न प्रतिको के माध्यम से अल्पविराम के पश्चात उनके जीवन में आए सकारात्मक परिवर्तन को साझा किया गया।
आवरण और मुख़ौटे उतारने की जरूरत
कार्यक्रम के दौरान सीएमएचओ डाॅ. प्रकाश फुलम्ब्रीकर ने अपने जीवन की कहानी को साझा करते हुए बताया कि हमें अपने आप से सच बोलने और खुद से ईमानदार होना चाहिये और अपने उपर पड़े आवरण और मुख़ौटे उतारने होंगे। उन्होंने राज्य आनंद संस्थान के अल्पविराम कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए बताया कि मैने अपने सेवाकाल मे इस तरह का कार्यक्रम नहीं देखा जो जीवन और कर्तव्यों के प्रति सकारात्मक सोच को बढ़ाने वाला है।