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भय और भ्रम के वातावरण में व्यंग्य से कई उम्मीदें

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हरमुद्दा

उज्जैन, 8 फरवरी। भय और भ्रम के वातावरण के बीच आज व्यंग्य लेखन को धारदार बनाने की जरूरत है। इस वातावरण में हर दौर की तरह व्यंग्य से कई उम्मीदें हैं और व्यंग्यकार ही समय की नब्ज को टटोलते हुए बेबाक अभिव्यक्ति दे सकता है।

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यह चिंतन “21वीं सदी का व्यंग्य- दशा और दिशा” विषय पर व्यंग्य यात्रा एवं शब्द प्रवाह द्वारा आयोजित दो दिवसीय व्यंग्य महोत्सव के प्रथम दिन हुआ।

व्यंग्यकार में होना चाहिए चिंतन और दृष्टिकोण : जनमेजय

कालिदास अकादमी में आयोजित दो दिवसीय उज्जैन व्यंग्य महोत्सव के शुभारंभ सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय ने कहा कि व्यंग्य को आज रेखांकित किया जा रहा है ।व्यंग्य एक ऐसा हथियार है जो कबीर के जैसे सीधे पाखंड पर प्रहार करता है।हर व्यक्ति की चेतना में व्यंग्य होता है और यह आप पर निर्भर करता है कि व्यंग्य का प्रयोग आप कैसे करते हैं। व्यंग्यकार में चिंतन और दृष्टिकोण होना चाहिए।

व्यंग्यकार स्वयं के आलोचक बनें और करें आत्मलोचना : डॉ. शर्मा

मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए डॉ. शैलेंद्र शर्मा ने कहा कि व्यंग्य अब विधा बन गई है, जिसमे व्यंग्य यात्रा का योगदान अविस्मरणीय है। उज्जैन में व्यंग्य परम्परा की शुरुआत पण्डित सूर्यनारायण व्यास से प्रारंभ होती है। शरद जोशी और डॉ. शिव शर्मा ने इसी व्यंग्य परम्परा को समृद्ध किया। व्यंग्यकार कबीर के वंशज हैं जिन्होंने समाज के पाखंड पर प्रहार किया। सूचना बहुल समय में व्यंग्यकार को दुर्गम समय में कार्य करना होगा। व्यंग्यकार स्वयं के आलोचक बनें और आत्मलोचना करें।

मारक क्षमता बढ़ी है व्यंग्य में : पाठक

विशिष्ट अतिथि कथाकार हरीश पाठक ने कहा कि जिस तरह साहित्य की अन्य विधाओं में परिवर्तन आया आज व्यंग्य भी बदल रहा है। व्यंग्य में शब्दों के लिहाज से कमी आई है मगर मारक क्षमता बढ़ी है। व्यंग्य की अपनी छबि है और 21 वीं सदी का व्यंग्य बहुत आगे जाएगा।

प्राचीन होकर आज भी व्यंग्य वही डॉ. अरोरा

विशिष्ट अतिथि व्यंग्यकार डॉ. पिलकेन्द्र अरोरा ने कहा कि व्यंग्य के तीर्थ में , उज्जयिनी में आप उपस्थित हैं। यह सदी परिवर्तन की सदी है, बाजारवाद की सदी है, विकास, तकनीक क्रांति का समय है, जीवन की मर्यादाएं भंग हो रहीं है। जब कबीर, गांधी, और नानक जी आज भी प्रासंगिक हैं तो विसंगतियां भी प्राचीन होकर आज भी व्यंग्य में वही और प्रासंगिक हैं।

इन्होंने भी किया विचार व्यक्त

डॉ. देवेंद्र जोशी , वंदना गुप्ता ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर सांध्य दैनिक उज्जैन सांदीपनि के, उज्जैन की व्यंग्य परम्परा पर केंद्रित विशेष अंक का विमोचन अतिथियों ने किया। स्वागत भाषण डॉ. हरीशकुमार सिंह ने दिया। दीप आलोकन से महोत्सव का शुभारंभ हुआ। व्यंग्य महोत्सव में देश भर के व्यंग्यकार उपस्थित रहे ।

किया स्वागत

अतिथि स्वागत संदीप सृजन, मुकेश जोशी, रमेशचन्द्र शर्मा, शशांक दुबे, सौम्या दुआ, आशीष दशोत्तर आदि ने किया। संचालन लालित्य ललित ने किया। आभार रण विजय राव ने माना।

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विमर्श सत्र में

विमर्श सत्र में विषय प्रवर्तन करते हुए राजेश कुमार ने कहा कि इस समय विसंगतियों के प्रहार के लिए व्यंग्य सबसे उपयुक्त है।

⬛ चन्द्रकान्ता ने कहा कि व्यंग्य जिम्मेदारी का कार्य है और वही कर सकता है जिसने समाज की पीड़ा को समझा हो। सोशल मीडिया के व्यंग्य में सकारात्मकता नहीं है, नकारात्मकता ज्यादा है। सोशल मीडिया में त्वरिता होने के कारण, व्यंग्य का अनर्थ हो रहा हूं जबकि व्यंग्य में विवेक का होना जरूरी है।

⬛ रमाकांत ताम्रकार ने कहा कि 21वीं सदी का व्यंग्यकार डरा हुआ है। व्यंग्य के विषय का चयन अत्यंत बारीकी से किया जाना चाहिए।

⬛ ओम वर्मा ने कहा व्यंग्यकार का कार्य सत्ता का बिरोध नहीं बल्कि असत्य का विरोध होना चाहिए।

⬛ शशांक दुबे ने कहा कि सोशल मीडिया के कारण व्यंग्य, की लोकप्रियता बढ़ रही है क्योंकि लेखक सोशल मीडिया पर तो लिख ही सकता है। आलोचकों और संपादकों की भूमिका भी व्यंग्य के उत्थान के लिए जरूरी है। रमेश सैनी ने बीसवीं और इक्कीसवीं सदी के व्यंग्य का आकलन किया।

साहित्यकार अपनी भूमिका निभाता रहा

⬛ अध्यक्षीय उद्बोधन में हरीश पाठक ने कहा कि हालात कितने ही बुरे हों साहित्यकार अपनी भूमिका निभाता रहा है और आज भी निभा रहा है। तीसरा सत्र कविता के स्वर का रहा जिसमें रचनाकारों ने विविध रस की रचनाएं प्रस्तुत की।

पुस्तक लोकार्पण

व्यंग्यकार डॉ. हरीशकुमार सिंह के व्यंग्य संकलन ‘ आप कैमरे की नजर में हैं ‘ और सौरभ जैन के व्यंग्य संग्रह ‘ डेमोक्रेसी स्वाहा ‘ का लोकार्पण प्रेम जनमेजय, लालित्य ललित आदि ने किया।

9 फरवरी को यह होगा

महोत्सव के दूसरे दिन 9 फरवरी को प्रात 10.30 बजे शिव शर्मा स्मृति व्यंग्य पाठ सत्र होगा। इसकी अध्यक्षता बलदेव त्रिपाठी, कृष्णकुमार आशु होंगे। विशिष्ट अतिथि आशीष दशोत्तर, रमेश शर्मा रहेंगे। इस सत्र में उपस्थित व्यंग्यकार अपने व्यंग्य का पाठ करेंगे।

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