दिग्विजयसिंह का ज्योतिरादित्य पर ट्वीटर वार, तब ग्वालियर से दी नाथूराम को पिस्टल…
🔲 पिस्टल के साथ दस दिन दिलाई ट्रेनिंग
🔲 सिंधिया रियासत में बंदूक या पिस्टल खरीदने के लिए नहीं होती किसी लाइसेंस की जरूरत
भोपाल, 11 मार्च। ज्योतिरादित्य द्वारा कांग्रेस से नाता तोड़ने के बाद कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने एक ट्वीट कर कहा है कि महात्मा गांधी को मारने के लिए नाथूराम गोडसे ने जिस रिवाल्वर का इस्तेमाल किया, उसे ग्वालियर के परचुरे ने ही उसे दी थी। परचुरे कौन था इस बारे में थोड़ा और रिसर्च करने की जरूरत है। ज्ञातव्य है कि सिंधिया रियासत में बंदूक या पिस्टल खरीदने के लिए किसी लाइसेंस की जरूरत नहीं होती थी।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह लगातार ज्योतिरादित्य सिंधिया, आएसएस और भाजपा पर ट्वीटर के जरिए निशाना साध रहे हैं। दिग्विजय ने ट्वीट में जिस परचुरे का नाम लिया है, उनका पूरा नाम डॉ. डीएस परचुरे था, वो ग्वालियर में एक हिंदू संगठन के प्रमुख थे।
यह है पूरा मामला
डॉ. परचुरे ने अपने एक परिचित के जरिए नाथूराम गोडसे को 500 रुपए में पिस्टल उपलब्ध करवाई थी। इसके बाद उसने स्वर्ण रेखा नदी के किनारे दस दिनों तक फायरिंग की प्रैक्टिस भी की, इसके बाद वो महात्मा गांधी को मारने के लिए दिल्ली रवाना हो गया। उस दौरान सिंधिया रियासत में बंदूक या पिस्टल खरीदने के लिए किसी लाइसेंस की जरूरत नहीं होती थी, इसलिए गोडसे ने ग्वालियर को ही चुनाव था।
ऐसे ग्वालियर पहुंची थी पिस्टल
विदेशी पिस्टल ग्वालियर कैसे पहुंची इसकी भी एक रोचक कहानी है, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सिंधिया की सेना के कमांडर लेफ्टीनेंट जनरल वीबी जोशी के साथ सैनिकों को अबीसीनिया में तैनात किया गया था। इस दौरान मुसोलिनी की सेना ने इसके सामने सरेंडर किया था, हथियारों में उन्होंने एक 9 एमएम की बरेटा पिस्टल भी दी थी। यही पिस्टल सिंधिया की सेना के कमांडर जोशी अपने साथ ग्वालियर ले आए थे। इसके बाद ग्वालियर के ही जगदीश गोयल ने कमांडर जोशी के परिवार से पिस्टल को खरीद लिया था। फिर कुछ समय बाद उसने यह नाथूराम गोडसे को बेच दी थी।