काफी कम खर्चे में है उपचार संभव कोरोना वायरस का

🔲 कोरोना वाइरस है बचना तो आयुर्वेद में वर्णित ऋषियों के ज्ञान को जरूरी है अपनाना

कोरोना वाइरस से सम्पूर्ण विश्व शारीरिक और आर्थिक कारणों से भयभीत है। अभी अभी इसका भारत में प्रवेश हुआ है। पिछले कई वर्षों से मीडिया के संचार के कारण हम विश्व के किसी न किसी भाग में कोई न कोई वाइरस के प्रकोप के बारे में सुनते हैं। जैसे ही किसी वाइरस का प्रकोप कहीं हुआ तो वह महामारी का रूप न ले ले, उसको लेकर विश्व की सभी सरकारें एवम विश्व स्वास्थ्य संगठन तुरंत सक्रिय हो जाती है।

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हमारे पूर्ण जीवन में प्रतिदिन न जाने कितने बैक्टीरिया और वाइरस हमारे शरीर पर आक्रमण करते हैं। जब हमारा शरीर इन आक्रमणों से पराजित हो जाता है, तब हम रोग से ग्रसित हो जाते हैं। हमारे शरीर में इस तरह के सैकड़ों वाइरस से लड़ने और शरीर की सुरक्षा के लिए एक प्रतिरोधक तंत्र और क्षमता होती है, जो इन तमाम वाइरस को समाप्त करता है। जब भी किसी वाइरस का प्रसार होता है तो दुनिया भर की दवा निर्माता कंपनी उस वाइरस का वैक्सीन तैयार करने में जुट जाती है, जिसे हमारे यहाँ टीका कहा जाता है। किसी भी वाइरस का वैक्सीन तैयार होने में बहुत समय लगता हैं। इसलिए इसके संक्रमण से होने वाली मौतें बहुत अधिक होती है, क्योंकि इसके अतिरिक्त इसकी कोई औषधि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में उपलब्ध नहीं है।

विडंबना : उपचार तो है मगर स्वीकारते नहीं

फिर प्रश्न उठता है कि क्या इसके संक्रमण के बाद मृत्यु के अतिरिक्त कोई मार्ग नहीं है ? तो उत्तर यही है कि विकल्प तो उपस्थित है लेकिन हम उन्हें स्वीकारते नहीं है अथवा हेय दृष्टि से देखते हैं।

हवन के धुए से होते थे वायरस खत्म

प्राचीन काल से ही वातावरण को वाइरस रहित बनाने के लिए हमारे घरों में शुद्ध घी और औषधियुक्त हवन सामग्री से यज्ञ होते थे, जिसके धुए से वाइरस समाप्त हो जाते थे। आज के आधुनिक विज्ञान की कसौटी पर भी यह प्रमाणित हुआ है और इस पर कई शोधपत्र उपलब्ध हैं।

जरूरी है भयमुक्त होकर समाज को जागृत करने की

आज जब भारत में पुनः इस कोरोना वाइरस के कारण भय का वातावरण बन रहा है तो आवश्यकता है भयमुक्त होकर समाज को जागृत करने का। किस तरह इस वाइरस से भारत को मुक्त करें, यह उपाय करने का। इसका उपाय है अपनी प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में वर्णित ऋषियों के ज्ञान को अपनाना।

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तो होगा भय से मुक्त जीवन

आयुर्वेद के अनुसार शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर , शरीर के ही रोग प्रतिरोधक तंत्र से ही इस वाइरस को समाप्त किया जा सकता है। अतः आयुर्वेद के अनुसार वाइरस से लड़ने की शक्ति प्रदान करने वाली औषधि अश्वगंधा, तुलसी, कालमेघ , हल्दी, त्रिफला, सोमलता, कूठ , काली मिर्च, सूंठ ( सोंठ ) का सेवन शीघ्र प्रारंभ कर देना चाहिए। इसके अतिरिक्त गायत्री परिवार द्वारा निर्मित औषधि युक्त हवन सामग्री से प्रतिदिन घर और कॉलोनी, बस्ती में यज्ञ करें। यदि यज्ञ नहीं कर सकें तो घर की रसोई में गैस चूल्हे पर लगभग 100 ग्राम हवन सामग्री जलाकर थोड़ी देर के लिए दरवाजे खिड़की बंद कर धुँए को वातावरण में फैलने दीजिए। 15 मिनिट पश्चात खिड़की दरवाजे खोल दीजिए। इन पुरातन और प्रामाणिक प्रयोग को अपनाकर आप कोरोना वाइरस के भय से मुक्त होकर निश्चिंत होकर जीवन यापन कर सकते हैं।

ऋषियों की सलाह माने

किसी भी वाइरस की एक विशेषता यह होती है कि वह अधिक तापमान पर लंबे समय तक जीवित नहीं रह पाता है । भारत जैसे देश में जहाँ अलग अलग क्षेत्र में अलग अलग तापमान होता है, इसलिए इसके प्रसार की संभावना कम होती है। अर्थात ग्रीष्म ऋतु और गर्म प्रदेशों में इसके विसरण की संभावना अत्यंत कम है। फिर भी हम गर्मी से बचने के लिए वातानुकूलित स्थान और संसाधनों का उपयोग करते हैं जिससे कोरोना अथवा किसी भी वाइरस के फैलने की संभावना हो सकती है। अतः आयुर्वेद के ऋषियों की सलाह मानकर अपनी प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि और यज्ञ कर वातावरण को वाइरस मुक्त करने का कार्य करें।

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